*गुरु रविदास जी महाराज एक समुदाय और एक जाति के गुरु नहीं हैं, ऐसा समझना मूर्खता होगी। वह सर्व समाज के गुरु हैं। चाहे बाबा साहब अंबेडकर हों या गुरु रविदास, उन्होंने जो किया समूचे समाज और मानवता के लिए किया।*
समाज में भेद करने वाले लोग द्रोही होते हैं। राम भी हमारे प्रभु हैं गुरु रविदास महाराज ने भी उनके नाम सिमरन करने की सीख दी है। उनकी सीख पूरे देश के लिए है। उन्हें सीमा में नहीं बांध सकते। ये शब्द राज्यपाल राजेंद्र विश्व नाथ आर्लेकर ने नगर परिषद संतोषगढ़ में 21-22 जनवरी श्री गुरु रविदास जोड़ मेले के दूसरे एवं अंतिम दिन कहे। इससे पहले जोड़ मेला कमेटी और गुरु रविदास धार्मिक सभा ने राज्यपाल को फूल भेंट कर ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने गुरु रविदास महाराज के मंदिर में प्रतिमा के आगे माथा टेक आशीर्वाद भी लिया और युवाओं द्वारा सर्वधर्म सद्भाव को दर्शाती हुई प्रदर्शनी को निहारा। उन्होंने जोड़ मेला के संस्थापक एवं गढ़शंकर के पूर्व विधायक शिंगारा राम सहूंगडा के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। मंदिर के लिए उनकी ओर से किए गए संघर्ष को भी याद किया।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि जोड़ मेला ऐतिहासिक है। इसके संघर्ष का इतिहास है। मेरा सौभाग्य है कि यहां आकर मंदिर और गुरु महाराज की प्रतिमा के लिए संघर्ष करने वाले महिला और पुरुषों सहित अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी शिंगारा राम सहूंगड़ा के परिवार को सम्मानित कर रहा हूं। यह अपने आप में बढ़ा एतिहासिक क्षण है। इसे लिखना चाहिए, पुस्तक के रूप में इसे बाहर आना चाहिए, ताकि आने वाली पीढिय़ों को इसका पता चले। गुरु रविदास राष्ट्र के संत है। इनकी सीख अपने जीवन में लाएं। अंबडेकर का पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा है। सौभाग्य है आज संत समाज का यहां गुरु रविदास मंदिर संतोषगढ़ आकर आशीर्वाद मिला। इससे पूर्व जोड़ मेला कमेटी के चेयरमैन बलवंत सिंह, संयोजक बलवीर बग्गा, अध्यक्ष अश्वनी, गुरु रविदास सभा के प्रधान बलवीर सिंह, कुंवर जगवीर सिंह सिधु, सुमन कुमारी ने शाल टोपी और गुरु रविदास महाराज का चित्र देकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को सम्मानित किया। जबकि राज्यपाल ने सहूंगडा परिवार को भी सम्मानित कर उनके परिवार का हौसला बढ़ाया।