अब इंजेक्शन से होगा छुपे टीबी के संक्रमण का टेस्ट

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आईजीएमसी और डीडीयू में सुविधा शुरू, जल्द ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी शुरू होंगे टेस्ट

वार्डों में लगाए जाएंगे शिविर

जिला स्वास्थ्य विभाग की शुक्रवार को नगर निगम के पार्षदों के साथ भी बैठक हुई।

इसमें पार्षदों ने उनके वार्डों में भी स्वास्थ्य शिविर लगाने की मांग की। बताया जा रहा है कि पार्षदों ने हामी भरी है कि दो-दो वार्डों को क्लब करके एक सामुदायिक भवन में यह शिविर लगाए जाएं। इससे न केवल बीमारी का पता लगेगा बल्कि जिस बीमारी का मरीज को देरी से पता लगना था समय पर उपचार शुरू होने से स्वास्थ्य ठीक रहेगा और आगामी जीवन आसानी से कट जाएगाअस्थमा, कैंसर, किडनी, शुगर मरीजों को रहता है टीबी का खतरा
संवाद न्यूज एजेंसी
शिमला। लोगों में छुपे हुए टीबी (क्षय रोग) का अब आसानी से पता लग पाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) और दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में पहली बार यह सुविधा शुरू की है।

अस्पताल में इंजेक्शन के जरिये अस्थमा, कैंसर, किडनी, शुगर और बीपी समेत 60 साल से अधिक आयु के लोग यह जांच करवा सकते हैं। ऐसे मरीजों को टीबी होने का खतरा रहता है लेकिन पता नहीं चल पाता। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विनीत लखनपाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें मरीज का टेस्ट करने के लिए एक इंजेक्शन लगाया जाता है। मरीज के बाजू में अगर इंजेक्शन लगने के बाद निशान (सूजन) आ जाए तो उसे पाॅजिटिव माना जाता है। उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी पॉजिटिव आने के बाद सप्ताह में एक बार और तीन महीने तक दवाई दी जाएगी। जिला स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सेवाओं में यह एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत छुपे हुए टीबी का जल्दी पता लगाने के लिए आईजीएमसी और डीडीयू अस्पतालों में अब मुफ्त इंजेक्शन लगाने की सुविधा उपलब्ध करवा दी है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभकारी होगा जिनमें टीबी के लक्षण पूरी तरह से नहीं दिखाई देते या जिनकी स्थिति जटिल हो। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस पहल से मरीजों को समय पर उपचार मिलने में मदद मिलेगी और वह टीबी जैसे खतरनाक संक्रमण से बच सकेंगे।घर पर दवाएं पहुंचाने की सुविधा
जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभियान के तहत फरवरी माह से 95 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसमें बाजू पर इंजेक्शन लगाया जाएगा। इसकी रिपोर्ट दो दिन में आएगी। विभाग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सब सेंटर में भी इसकी सुविधा उपलब्ध करवाएगा। यहां पर लैब तकनीशियन इंजेक्शन लगाने का काम करेगा। इसमें जो मरीज पॉजिटिव आएंगे उन्हें आशा वर्करों के जरिये घर पर दवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। लोगों खुद भी नजदीकी अस्पतालों से दवाएं लेकर जा सकते हैं।—अमर उजाला से साभार