*आज गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार सरंक्षण समिति , दलित शोषण मुक्ति मंच , भीम आर्मी , अखिल भारतीय कोली समाज , बाल्मीकि सभा, विश्वकर्मा सभा, युवा कोली समाज ने नाहन में एक विशाल रैली का आयोजन किया सभी लोगों ने सर्वप्रथम अंबडेकर की प्रतिमा कों। श्रधांजली अर्पित की और संविधान की रक्षा की शपथ ली , उसके पश्चात सभी संगठनों के लोग गरिपार अनुसूचित जाति अधिकार सरंक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मंगेट दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार , भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष विपिन कुमार, महासचिव सुंदर सिंह की अध्यक्षता में नाहन बाज़ार से होते हुए हजारों की संख्या में जिलाधीश कार्यालय पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश महोदय सिरमौर के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन भेजा ज्ञापन में “हाटी” जनजातीय ,क्षेत्र घोषित होने से इस क्षेत्र मे रहने वाले 40% अ०जा० वर्ग के उपर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत करवाया । गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार सरंक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मंगेट दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार , भीम आर्मी के अध्यक्ष विपिन कुमार ने संबोधित करटे हुए कहा कि Registrar General of India 2017 की रिपोर्ट में RGI ने अपनी रिपोर्ट मे यह स्पष्ट कहा है कि “हाटी” कोई जनजाति नही है तथा इसे संविधान के अधिनियम 342 (2) के अन्तर्गत संवैधानिक दर्जा नही दिया जा सकता है | RGI ने अपनी रिपोर्ट मे कहा था कि “हाटी ” समुदाय कोई एक सामाजिक इकाई नहीं है। गिरी पार क्षेत्र की अनुसूचित जातियां , न की कोई जनजाति , सामाजिक-आर्थिक व शैक्षणिक रूप पिछड़ी है क्योंकि परंपरागत रूप से इन्ही निचली जातियों (कोली, ढाकी, डूम, चनाल, बाढी, लोहार आदि ) के साथ छुआछूत किया जाता रहा है |
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि “हाटी”जनजाति घोषित करने से गिरी पार क्षेत्र मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम ,1989 के निष्क्रिय होने के खतरे के बारे मे आगाह किया जिस कारण क्षेत्र मे उत्पीडन की घटनाएं और अधिक बढ़ जाने की संभावना है। उन्होने वर्ष 2015 से 2022 तक जिला सिरमौर मे एट्रोसिटी एक्ट के मामलों की रिपोर्ट के बारे में भी बताया कि अब तक जिला सिरमौर मे कुल 122 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमे से हत्या व बलात्कार के जघन्य मामलों सहित कुल 106 मामले इसी गिरी पार क्षेत्र के हैं |
सभी संगठनों ने शंका जाहिर करते हुए इस बात का खतरा जताया कि यदि गिरी पार की तमाम जातियों को “हाटी” जनजाति घोषित करके एक ही छतरी के नीचे लाया गया तो अनुसूचित जाति एवं ओ०बी०सी० वर्ग को पंचायती राज संस्थाओं मे प्राप्त संवैधानिक आरक्षण समाप्त हो जाएगा। जिसका उदाहरण उन्होने किन्नौर जिला मे 2020 के पंचायती राज चुनावों मे उपायुक्त किन्नौर द्वारा जारी पंचायत रोस्टर को पेश कर दिया। जिसमे जिला किन्नौर की समस्त 73 पंचायतों मे प्रधान पद केवल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। दलित शोषण मुक्ति मंच ने केन्द्र सरकार से मांग रखी की गिरीपार की 40% अ०जा० के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए व जल्दबाजी मे जनजातीय क्षेत्र घोषित कर अनुसूचित जाति वर्ग के कत्लेआम का लाइसेन्स न दिया जाए ।
सभी संगठनो ने RGI की सर्वे रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए , सभी संगठनों ने एक सुर में कहा कि 40 प्रतिशत आबादी को इस सर्वे में शामिल नही किया गया । सभी संगठनों ने मांग की है कि इस तरह की एक तरफा कार्रवाई जो राजनीतिक हित साधने के लिए की जा रही है वे बर्दाश्त नही
दलित शोषन मुक्ति मंच के जिला संयोजक ने कहा कि आज सभी क्षेत्र के विधायकों को बुलाया गया था , परन्तु कोई भी विधायक अनुसचित जाती वर्ग के समर्थन में न आ कर अपनी मंशा जाहिर कर दी । आशीष कुमार ने सभी लोगो को संबोधित करते हुए कहा की अब 154 पंचायतो के लोगों को निर्धारित करना है कि जो विधायक आपके साथ नही है जब वो वोट मांगने आये तो आप खुद ही समझदार है कि क्या करना है , रैली को गिरिपार संरक्षण समिति के महासचिव सुंदर सिंह, संगड़ाह के अध्यक्ष विनोद तोमर , सतपाल मान, परसराम ,नैन सिंह, अमिता चौहान, रघुवीर, युवा कोली समाज के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह,भीम आर्मी के मोहन सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को इस मामले की गंभीरता को देखे और कोई ऐसा काम न करे जिससे अनुसूचित जाति वर्ग को सरंक्षण और प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले अधिकार खत्म न हो ।
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