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क्या वाकई कांग्रेस सरकार संकट में थी या है, आईए जानते हैं सच्चाई

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प्रदेश में 68 विधानसभा सदस्य होते हैं कांग्रेस पार्टी के 40 विधायक जीते थे, बीजेपी के 25 विधायक जीते हैं 3 निर्दलीय विधायक है, बहुमत का आंकड़ा 35 है
इस तरह से जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, वित्त विधेयक में व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में 6 विधायकों की माननीय विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यता रद्द कर दी, अब प्रदेश विधानसभा की 62 सीटों में बहुमत के लिए 32 विधायकों की आवश्यकता है, जबकि कांग्रेस पार्टी के पास 34 विधायक है.
सरकार को कोई खतरा न पहले था ना अब है, हां यह बात जरूर है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की अपनी कुर्सी पर खतरा था, जिसको उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से हैंडल कर लिया है, अब उनकी कुर्सी भी सेफ है और सरकार भी.
जहां तक रही सोशल मीडिया की अफवाह की बात तो एक बात साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि कैबिनेट मंत्रियों के अपने प्रोग्राम होते हैं, वह कभी भी कहीं भी जा सकते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि वह सीधे भाजपा में जा रहे हैं क्योंकि कोई भी कैबिनेट मिनिस्टर को बीजेपी में जाने से पहले कांग्रेस पार्टी से की सदस्यता और विधायक की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा, फिर दोबारा चुनकर आना होगा फिर क्या पता बीजेपी बनाए या ना बने मंत्री, इसलिए जो सोशल मीडिया पर अफवाहें चलती है कि फलाना मंत्री सीधा निकल गया, चंडीगढ़ यह सिर्फ अफवाहें है इन अफवाहें में ना आए.
अब बात करते हैं 6 विधायकों की जिनकी सदस्यता निरस्त हो गई है, यदि वह माननीय कोर्ट द्वारा यह साबित करने में कामयाब हो जाते हैं कि उनकी जो सदस्य गलत रद्द हुई फिर भी वह कांग्रेसी ही विधायक बनेंगे, बीजेपी के विधायक तो नहीं बनेंगे, यदि वह यह साबित नहीं कर सके तो फिर उन 6 विधानसभा सीटों उपचुनाव होगा, कांग्रेस पार्टी को मात्र 1 सीट जीतने की आवश्यकता है, अगर कांग्रेस 6 की 6 भी हार जाती है जो कि संभव ही नहीं है, फिर भी किसी निर्दलीयों को विधायक बनाकर सरकार चला सकते हैं, बागी विधायकों को भारतीय जनता पार्टी में स्थापित नेताओं से लड़ाई लड़नी होगी, जनता ने जो मतदान उनको कांग्रेस के निशान पर दिया था, उसका जवाब उसे क्षेत्र की जनता को देना होगा, जहां से वह चुनकर आए थे.
इस तरह से सारी मुश्किलें अब उन बागी विधायकों के हिस्से में ही है, लेकिन भाजपा 6 की 6 जीतने पर भी सरकार बनाने में हिमाचल प्रदेश में कामयाब नहीं होगी, क्योंकि फिर भी कांग्रेस के पास 34 विधायक होंगे और बीजेपी के पास 31 विधायक ही होंगे, जबकि 3 निर्दलीय विधायक हैं.

इसलिए भाजपा की 5 साल सरकार बनाने की मंशा हिमाचल में सफल नहीं होगी, चाहे वह जो मर्जी करें. यह पोस्ट मैंने इसलिए लिखी है, ताकि आप सोशल मीडिया पर लगातार फलाई जा रही अफवाह से बच सके!