*धर्मशाला के तपोवन में बुधवार को शुरू हुए विधानसभा के शीतसत्र मेें विपक्ष के हंगामे पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जहां जरूरत होगी,*
*वहां संस्थान खोले जाएंगे। इसके लिए पहले बजट में व्यवस्था की जाएगी और संस्थानों के लिए संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की भर्तियां भी पूर्व योजना के आधार पर की जाएंगी।*
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुक्खू ने कहा कि पूर्व सरकार ने बिना बजट प्रावधान के अंधाधुंध संस्थान खोल दिए थे। सरकार ने तमाम स्थिति देखने के बाद ही फैसले लिए हैं। सुक्खू ने कहा कि कैबिनेट का विस्तार सीएम का विशेषाधिकार है। ऐसे में समय आने पर कैबिनेट भी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि स्पीकर के लिए कांग्रेस की तरफ से विधायक कुलदीप सिंह पठानिया का प्रस्ताव आया था।
वह नेता विपक्ष जयराम के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और अब कुलदीप पठानिया सदन में स्पीकर के लिए साझे उम्मीदवार हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के हंगामे पर अपने बयान में पूर्व की जयराम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह जाते-जाते आखिरी छह महीनों में प्रदेश में 900 संस्थान खोले गए। इतने संस्थानों के संचालन के लिए करोड़ों रुपए का बजट का कोई भी प्रावधान नहीं था। ऐसे में क्या कोई दैवीय शक्ति इन संस्थानों को चलाने वाली थी। इतने संस्थान खोलने के बावजूद जनता ने भाजपा को रिजेक्ट कर दिया।
सीएम ने कहा कि वह चाहते हैं कि राज्यपाल के अभिभाषण पर जो तथ्य आएंगे, उस पर विपक्ष खुलकर अपनी बात रखे और तथ्य लाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने संस्थान जयराम सरकार ने खोले उन्हें चलाने के लिए 5000 करोड़ रुपए के बजट की आवश्यकता होगी। इतनी बड़ी लाइविलिटी तो सरकार ने बिना सोचे-समझे खड़ी कर दी। न स्कूलों में शिक्षकों की भर्तियां कीं, न स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सक और न ही कोई दूसरा प्रावधान किया गया। उनके पास तमाम आंकड़े हैं और वह आंकड़ों पर बात कर रहे हैं। (एचडीएम)
513 दफ्तर डिनोटिफाई, 480 बिना मंजूरी खोले गए थे
विपक्ष के आरोप पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अप्रैल से सितंबर तक की अवधि में कुल 584 संस्थानों को खोलने या अपग्रेड करने के प्रोपोजल वित्त विभाग में आए। इनमें से सिर्फ 94 में वित्त विभाग ने मंजूरी दी थी। 480 संस्थान रिजेक्ट होने के बावजूद खोल दिए गए। अब तक सरकार ने 513 संस्थानों को डिनोटिफाई किया है और 56 पर अभी फैसला होना बाकी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग में कुल 386 संस्थानों को लेकर सरकार ने अभी फैसला लेना है। इनमें 23 नए कॉलेज, 98 सीनियर सेकेंडरी स्कूल, 131 हाई स्कूल, 15 मिडिल स्कूल, 45 प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जरूरत के आधार पर नए कार्यालय खोलेगी।
दफ्तर बंद करने पर हंगामा, नारेबाजी और वाकआउट
शीतकालीन सत्र के पहले दिन नए विधायकों की शपथ से पहले जयराम ठाकुर ने उठाया संस्थान बंद करने का मामला
राजेश मंढोत्रा — तपोवन (धर्मशाला)

14वीं विधानसभा में सदन की शुरुआत हंगामे, नारेबाजी और वाकआउट के साथ हुई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगवाई वाली कांग्रेस सरकार के पहले शीतकालीन सत्र में विधायकों की शपथ से पहले पूर्व जयराम सरकार के दफ्तर और संस्थान बंद करने के मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव हो गया। यह गरमागर्मी अगले दो दिन भी रहने वाली है। बुधवार सुबह 11 बजे जैसे ही प्रोटेम स्पीकर चंद्र कुमार ने विधानसभा सदन की कार्यवाही शुरू की, वैसे ही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने उनकी सरकार के आखिरी साल में खोले गए दफ्तरों और संस्थानों को बंद करने के खिलाफ सदन में चर्चा मांगी। इस पर प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष पहले शपथ होने दें, उसके बाद राज्यपाल अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखें। लेकिन विपक्ष ने चर्चा का समय तय करने की मांग उठाई। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्तमान सरकार को पिछले एक साल के फैसले पलटने का अधिकार नहीं है। सरकार का कार्यकाल पांच साल होता है और पूरी कैबिनेट की मंजूरी से लिए गए फैसलों को बिना कैबिनेट के बदला जा रहा है। छह महीने पहले खुले एसडीएम ऑफिस को बंद किया गया। जिस एसडीएम ने विधायक को चुने जाने के बाद सर्टिफिकेट जारी किया, उसी को ही बंद कर दिया गया।
इस तरह से बहुत से उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों की शपथ अभी हो रही है। पूरी कैबिनेट बनी नहीं है, लेकिन दफ्तरों पर ताले लगाए जा रहे हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में इन बातों का जवाब दिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से पूछा कि सवा चार साल के बाद आप की सरकार में ऐसी कौन सी दैवीय शक्ति आ गई थी कि आखिरी आठ महीनों में 900 दफ्तर खोल दिए गए। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में कंपाउंडर ही थे और स्कूलों में भी टीचर नहीं मिले। इन दफ्तरों को खोलने का मकसद सिर्फ वोट पाना था। लेकिन लोगों ने फिर भी वोट नहीं दिए और आपको विपक्ष में बिठाया। इन दफ्तरों-संस्थानों को यदि चलाना हो, तो 5000 करोड़ चाहिए। मुख्यमंत्री के इस जवाब को सुनने के बाद दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों ने तालियां बजाना शुरू कर दीं। इससे विपक्ष के विधायक भडक़ गए।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन की परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि वह 25 साल से इस विधानसभा में हैं, लेकिन जो आज हो रहा है, वह पहली बार देखा। यह कोई जनसभा का स्थान नहीं है। विधानसभा की दर्शक दीर्घा में राजनीतिक कार्यकर्ता भरे गए हैं। ऑफिसर गैलरी में पॉलिटिकल पार्टी के लोग बैठे हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि कांग्रेस की पूर्व सरकार ने एक सप्ताह में ही 21 कालेज खोले थे। हमने किसी को बंद नहीं किया। इसलिए मुख्यमंत्री को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। इसके बाद दोबारा से मुख्यमंत्री ने जवाब दिया और इसी शोर-शराबे के बीच विपक्ष के विधायक सदन से बाहर चले गए। इसी बीच प्रोटेम स्पीकर चंद्र कुमार ने विधानसभा की दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को निर्देश दिए कि वे तालियां न बजाएं। (एचडीएम)
मैं आपका बुरा नहीं चाहता फैसले पलटना गलत परंपरा
विधानसभा के भीतर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से पूछा कि फंक्शनल हो चुके दफ्तरों को बंद करने की जल्दबाजी क्या है। यह फैसला किसके दबाव में आप ले रहे हैं। जो भी यह करवा रहा है, वह आपको गलत सलाह दे रहा है। मैं आपका बुरा नहीं चाहता। मैं फिर कह रहा हूं,आपका भला चाहने वाले लोग कम हैं। ऐसा मत करिए। आपकी सरकार के खिलाफ 10 दिन में लोग चौराहों पर उतर आए हैं। दफ्तर बंद करने के बाद रिव्यू नहीं होता। पीडब्ल्यूडी और जल शक्ति के जिन दफ्तरों में काम शुरु हो गया था, टेंडर हो चुके थे, उनको बंद कर दिया गया। चुनी हुई सरकार का कार्यकाल पांच साल होता है। इस मैंडेट में दिए गए फैसलों को बदलना गलत परंपरा है।