देव भूमि हिमाचल की बेटिया आज सुरक्षा मांगने के नहीं बल्कि सुरक्षा देने के लिए भी है प्रतिबद्ध..

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देव भूमि हिमाचल की बेटिया दिन प्रतिदिन आत्म निर्भर ओर सक्षम होती जा रही है जिन तमाम बेटियों ने ये साबित कर दिया है कि अब हिमाचल की बेटियां सुरक्षा मांगने के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है और जिसको पूर्व के दशक से विभिन्न सुरक्षा बलों में शामिल होकर अपनी प्रतिभा और परिश्रम का लौहा मनवा रहीं हैं जिन्हें कभी घरो से बहार तक नहीं भेजा जाता था उन बेटियों पर आज हमें गर्व है कि हिमाचल की बेटिया हर क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रही है जिसमें चाहें हम खेल की बात करें या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की विभिन्न क्षेत्रों में हिमाचल की होनहार बेटियों ने यहां पर अपने आप को साबित कर दिया है कि हम किसी से कम नहीं मैं आज कुछेक उदाहरण सुरक्षा के सन्दर्भ में देना चाहूगा जिसमे पुलिस विभाग में उच्च पदों पर विराजमान देव भूमि की हमारी अनेकों बेटियों ने ख्याति अर्जित की है
1.जिसमें हम सर्वप्रथम जिक्र करना चाहेंगे आईपीएस अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री जी का जो एक साधारण परिवार से निकलकर शिखर तक का सफर जिन्होंने तय किया है और जिनके पिताजी हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम में परिचालक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं शालिनी अग्निहोत्री जिला ऊना से सम्बन्ध रखती हैं और वर्तमान में पुलिस अधीक्षक कांगड़ा के रूप में अपनी बेहतरीन सेवाएं प्रदान कर रहीं हैं उनके माता- पिता ने बताया शालिनी हमेशा से ही मेहनती छात्रा में गिनी जाती थी और स्कूल में उनका प्रदर्शन काफी रहता था शालिनी अग्निहोत्री 2012 बैच की आईपीएस अधिकारी है,
शालिनी ने धर्मशाला के DAV स्कूल की पढ़ाई पूरी की है फिर हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.
2.सतवनत अटवाल त्रिवेदी IPS: भारत सरकार ने 26 जनवरी से एक दिन पहले राष्ट्रपति पुलिस पदक की घोषणा की है। इन नामों में हिमाचल के पांच पुलिस अफसर शामिल हैं। आईपीएस और हिमाचल की एडीजीपी सतवंत अटवाल त्रिवेदी विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक पाने वाली हिमाचल प्रदेश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन गई हैं। सतवंत अटवाल त्रिवेदी 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। इसके अलावा सतवंत अटवाल त्रिवेदी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जाने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी भी हैं। वह वर्दी में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं।
3.2014 बैच की आईपीएस अधिकारी मोनिका भुटुंगरू (IPS Monika Bhutungru)
मोनिका हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति की मूल निवासी है। उनके पिता सोमदेव सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि माता पालमो देव गृहिणी हैं। मोनिका की 12वीं तक की शिक्षा दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ़ तथा पंचकूला से पूरी हुई। उन्होंने वर्ष 2010 में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से एमबीबीएस तक की शिक्षा हासिल की तथा लोक नायक अस्पताल में सेवाएं दीं।
4.आकृति शर्मा हिमाचल के ऊना जिले की रहने वाली हैं। उनका जन्म 19 जुलाई 1986 को हुआ था। पिता ऊना के हिल व्यू कॉलोनी, झलेड़ा में रहते हैं। आकृति शर्मा बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही हैं। 10वीं की परीक्षा में वह पूरे हिमाचल में दूसरे नंबर पर पर रहीं। 12वीं में उन्होंने प्रदेशभर में तीसरा स्थान हासिल किया। आकृति शर्मा हमेशा स्कूल के फैंसी ड्रेस कॉम्पटीशन में खाकी वर्दी पहन कर जाती थी।
आईपीएस आकृति शर्मा हमीरपुर के ऐम पब्लिक स्कूल में मेडिकल की छात्रा रही हैं। वर्ष 2015 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर 2016 में आईपीएस अधिकारी बनीं। टांडा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में टॉपर रही आकृति शर्मा ने एक साल शिमला में बतौर चिकित्सक सेवाएं भी दीं है। मानसिक संतुष्टि नहीं मिली तो अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने का मन बना लिया। उनके पिता आरके शर्मा डीआईजी सेवानिवृत्त हैं। पिता को आकृति शर्मा अपना रोल मॉडल मानती हैं। उनके पिता भी हमीरपुर में बीस साल पहले पुलिस अधीक्षक के पद पर सेवाएं दे चुके हैं। आईपीएस आकृति शर्मा की शादी वर्ष 2013 में नेवी में कार्यरत डाक्टर से हुई है। उनके ससुराल महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हैं तथा मायका ऊना जिला में है।
5.ऐसी ही कहानी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली मोहिता शर्मा (IPS Mohita Sharma Success Story) की है, जो 2017 बैच की आईपीएस अफसर हैं. हालांकि मोहिता के लिए यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) पास करना उनके लिए इतना आसान नहीं था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी.
पिता करते थे मारुति फैक्ट्री में काम
यूपीएससी पाठशाला की रिपोर्ट के अनुसार, मोहिता शर्मा (Mohita Sharma) हिमाचल की कांगड़ा की रहने वाली हैं,

6.वही हम बात करेंगे सौम्या सांबशिवन जो 2010 बैच की आईपीएस अधिकारी है. आईपीएस अधिकारी सौम्या सांबशिवन ने जिला सिरमौर में बतौर पुलिस अधीक्षक पहला पदभार संभाला था. वहीं सौम्या जिला शिमला में भी पुलिस अधीक्षक रह चुकी हैं. शिमला जिला की पहली महिला पुलिस अधीक्षक बनने का श्रेय सौम्या को ही हासिल है।
इस प्रकार हिमाचल प्रदेश में सुरक्षा के सन्दर्भ में महिला पुलिस अधिकारियों की फैरिसत लंम्बी है परन्तु आज हिमाचल प्रदेश की होनहार बेटियों ने ये साबित कर दिया है कि हम किसी से भी कम नहीं है अगर हमें समय रहते अवसर ओर साबित करने का मौका दिया जाएं। तथा आज देव भूमि हिमाचल प्रदेश को गौरवान्वित महसूस भी करवा रही हैं और आज हम सभी को भी बेटियों को उनके योग्यता अनुसार उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करने की परम् आवश्यकता भी है क्योंकि आज भी कुछेक ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों को कुछ शिक्षा देकर मां बाप उनको शादी के बंधन में बांध देते हैं जिनके कि काबिलियत की कोई कमी नहीं है परन्तु परिस्थितियों के अनुसार उनको अपने जीवन के साथ समझोता करना पड़ता है जो आज के 21वी सदी में बहुत ही दुखद विषय है आज की बेटियां हर क्षेत्र में मजबूत है अगर आप उनको उड़ने के लिए प्रोत्साहित के पंख लगा देते हैं तो आप देखेंगे कि भविष्य में हमारे हिमाचल प्रदेश की बेटियां हर क्षेत्र में आज से भी ओर अच्छे परिणाम हमारे प्रदेश के लिए ला सकतीं हैं आज विभिन्न क्षेत्रों में जैसे पुलिस, सेना, वायु सेना,जल सेना,खेल क्षेत्र, पर्वतारोही, राजनेतिक, अन्तरिक्ष, प्रशासनिक, इत्यादि अनेकों क्षेत्रों में हिमाचल की बेटियों ने अपनी मेहनत और दृढ़संकल्पिता का लोहा मनवाया है और आज फिर साबित कर दिया है कि देव भूमि हिमाचल की बेटिया सुरक्षा मांगने के लिए ही नहीं बल्कि सुरक्षा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है जिन्होंने समय समय पर हिमाचल को गौरवान्वित करवाया है.. स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर

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