देव स्वरूप में आज भी साक्षात दर्शन होते हैं भक्तों को इस अलौकिक मन्दिर में…

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हिमाचल को यूं ही नहीं कहा जाता देव भूमि हिमाचल बल्कि यहां के इतिहास ओर वर्तमान से वाकिब करवाता है हिमाचल के विभिन्न जिलों और क्षेत्रों में देवी देवताओं का अलौकिक इतिहास जहां पर हमें आज भी अनेकों क्षेत्रों में साक्षात् देव दर्शन ओर अलौकिक शक्ति का एहसास करवाता है ऐसा ही एक अलौकिक मन्दिर है जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र बिड़ला गांव का गुग्गा महाराज का अलौकिक ओर शक्ति स्वरूप का ये अनौखा मन्दिर जहां पर हर वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य देव दर्शन किए जाते हैं अर्थार्त पिछले कल इस मन्दिर में एक सुन्दर ओर भव्य भकितमय आयोजन किया गया और इस मन्दिर में समस्त ग्राम वासी, पंचायत वासी ओर विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों भक्तजन गुगा महाराज के दर्शन करके अपने आप को कृताथ करते हैं इस मन्दिर का इतिहास बहुत पौराणिक कथा अनुसार इस गांव क्षेत्र के समस्त बुजुर्ग,पंडित ओर पुजारी समय समय पर दोहराते हैं कि जहा सिरमौर में प्रसिद्ध मन्दिर चुडधार में शिरगुल महाराज का मन्दिर है जिसमें शिरगुल महाराज के साक्षात् देव रुप में विराजमान हैं जिन्हे कि भगवान शिव का अवतार बताया ओर माना जाता है तो इतिहास में दोहराया जाता है कि जब पूर्व काल में शिरगुल महाराज को दिल्ली के एक राजा द्वारा बंधी बनाया जाता है जिन्हें कि समस्त जंजीरों के बांधने के वावजूद भी बांध नहीं पा रहें थे तो फिर अन्त में राजा के आदेशानुसार चमड़े की बैडियो के द्वारा शिरगुल महाराज शक्तिहिन हो गए और विवश होकर शिरगुल महाराज को बधना पड़ा और शिरगुल महाराज ओर गुग्गा महाराज का आपस में मामा भांजे का रिश्ता इतिहास में दोहराया जाता है जिसमें की शिरगुल महाराज दिल्ली से गुपचुप तरीके से एक भगिनी के द्वारा सन्देश पहुंचाया जाता है कि आपका मामा अर्थार्त शिरगुल महाराज दिल्ली के राजा द्वारा कलाहिन करके चमड़े की बैडियो से बांध दिया गया है और कारागृह में डाल दिया है और यह वही भगिनी है जो राजदरबार में झाड़ू लगवाया करतीं थीं जिन्होंने राजा की बात सुनकर कहा कि मैं आपका ये सन्देश आपके गुग्गा महाराज तक केसे पहुचा पाऊंगी तो शिरगुल महाराज कहते हैं कि अगर आप मेरे इस सन्देश को गुगा महाराज तक सन्देश पहुंचाने में कामयाब होती है तो मैं आपको बचन देता हूं कि मैं आपको अपनी बहन की तरह दर्जा दूंगा और अपने स्थान के बराबर स्थापित भी करवाऊंगा अगर आप ये सन्देश पहुंचाते हैं ये वही भगिनी है जिसका जिला सिरमौर हरिपुर धार में स्थित भगाईनी माता का शक्ति स्वरूप के रुप में आज विराजमान हैं तथा भगिनी ये सन्देश गुपचुप तरीके से गुग्गा महाराज के पास पहुंचा देती है और गुग्गा महाराज दिल्ली के लिए प्रस्थान करते हैं और जहां पर गुगा महाराज शिरगुल महाराज में पड़ी चमड़े की बैडियो को अपने दांतों से मुक्त करते हैं और शिरगुल महाराज दिल्ली के राजा से रिहा हो जातें हैं तभी कहा भी जाता है कि जब गुगा महाराज को देव शक्ति के रूप में बुलाया जाता है तो वहां पर स्पष्ट बोलने ना के पिछे वहीं इतिहास दोहराया जाता है कि चमड़े की बैडियो से कलाहिन होकर इसका असर बताया जाता है जिसका मुख्य देव स्वरूप राजस्थान के बागड देश से दोहराया जाता है जिसको बिड़ला गांव के भक्तजन बागडदेश से अपने मन्दिर में हर वर्ष देव भ्रमण किया जाता है जिस गुगा महाराज को लगभग 10 दिनों तक समस्त गांव क्षेत्र में देव दर्शन करवाएं जातें हैं और अन्त में जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बिड़ला गांव के मन्दिर में पहुंचाया जाता है जहां रात-भर समस्त पीर महाराज अर्थार्त गुगा महाराज शक्ति स्वरूप में दर्शन देते हैं और गुगा महाराज के इतिहास को विशेष परीक्षिक्षित व्यक्तियों वाद्ययंत्रों के द्वारा गुगा महाराज का इतिहास दोहराया जाता है जिसको स्थानीय भाषा में (बार) भी कहा जाता है जिसको सुनकर देव स्वरूप के समस्त देवगण के समस्त शरीर में कम्पन पैदा होता है और वह कुछ समय के लिए देवदर्शन देते हैं और विभिन्न क्षेत्रों से आए देव अंश लौहे के बनें तीखे ओर नुकीले अस्त्र अर्थार्त जिनको स्थानीय भाषा में (कोरडे) भी कहा जाता है जिन्हें कुर्ता खोलकर कहीं आग में डालकर तो कहीं बिन आग के समस्त देव अपने पीठ पर आजमाते हैं और जो कि लौहे के बहुत ही नुकीले बनाएं जातें हैं परन्तु गुग्गा महाराज की शक्ति ओर आस्था के बदोलत इन समस्त देवों को खरोंच मात्र तक भी नहीं आती है जिसको हम आज भी साक्षात् देख ओर सुन भी पाते हैं और इस मन्दिर में रात्रि जागरण ओर देव दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं जिसमें रात-भर देव दर्शन ओर भजन का आनंद लेते हैं और अगली सुबह समस्त क्षेत्र से आए भक्तजन मन्दिर में आटा,घी, चावल इत्यादि से पूजा ओर आस्था व्यक्त करते है और पूजा अर्चना करने के उपरान्त मन्दिर में भव्य भंडारे का आयोजन भी प्रतिवर्ष किया जाता है इसलिए बिड़ला गांव के गुगा महाराज का यह अलौकिक ओर शक्ति स्वरूप मन्दिर अपने आप में बहुत ही रोचक ओर आस्था का प्रतीक है जिसके दरवार में हजारों श्रद्धालु हर वर्ष अपनी हाजिरी लगाते है..!

स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर

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