ये भीड़ पैसे देकर बुलाई गई भीड़ नही ये भीड़ अपने अधिकार अपने हकों को कायम रखने के लिए मिलों दूर पहुंची है

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सीएम साहब अपना इरादा बदलो नही तो हम कुर्सी बदल देगे:दलित संगठन

दलिल संगठनो ने आज केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ राजगढ में धरना दिया, और रैली की उनका आरोप है कि सरकार संपन्न वर्ग को जनजाति दर्जा देने जा रही है जो संविधान के खिलाफ है. आरक्षण दलितो पिछड़ो कुचलो और महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दिया जाता है जबकि ट्रांसगिरी में मापदंडो के खिलाफ वोट बैंक के खातिर संपन्न लोगो को जनजाति बनाया जा रहा है जो कि गलत है.
लगता है ट्रांसगिरी के ट्राईबल स्टेटस वाला मुददा उछालना भाजपा और जयराम सरकार के लिए उलटा पड़ गया. इस मुददे पर सभी दलित संगठन सरकार के खिलाफ जा रहे है।

अब ट्रांसगिरी ही नही पुरे जिलो में इस बात का अंदेशा हो गया है कि केन्द्र की मोदी सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर सकती है. ट्रांसगिरी के राजगढ में आज हुई दलित रैली में पुरे प्रदेश से जुटे दलितो ने सरकार को पुन: बिचार करने पर विवश कर दिया है.

दलित संगठनो ने साफ कर दिया है कि वह आने वाले विधानसभा चुनाव में एकतरफा भाजपा के खिलाफ वोट करेगे। साथ ही यह भी चेताया की वह भाजपा के बिरोध में पुरे हिमाचल में मुहिम चलाऐगे और कोर्ट में भी लड़ाई जारी रखेगे.

दलित संगठनो ने कहा कि भाजपा समर्थित हाटी समिति ने केन्द्र सरकार को झूट बोला है और झूठे आंकड़े पेश करके गुमराह किया है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. दलित संगठनो ने हाटी समिति द्वारा सोपे गए झूट के आंकड़े पेश किए जिसमे बताया गया है कि ट्रांसगिरी में न तो सड़के है,न ही शिक्षण संस्थान इस क्षेत्र को एक जंगल की तरह अज्ञात दर्शाया गया है,जो बिलकुल झूट है.

दलित संगठनो ने कहा कि हाटी समिति ने इस क्षेत्र के बारे में फर्जी आंकड़े केन्द्र सरकार को सोंपे है.जिसमे कहा गया है कि ट्रांसगिरी में सिर्फ गेहूं ऊगाया जाता है. जबकि हकीकत यह है कि यहां के लोग बड़े पैमाने पर सब्जी और फूल का उत्पादन करते है,जबकि राजगढ का आडू एशिया में प्रसिद्द है.

दलित संगठनो ने कहा सरकार उनके संविधान को छेड़ रही है. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री शिलाई  आते है और कहते है वो उनके मामा है,दलितो ने कहा कि सीएम यह स्पष्ट करे की वह सिर्फ अपने मित्र बलदेव के मामा है या सबकेट्रां

ट्रांसगिरी के 40 प्रतिशत लोग इसका बिरोध कर रहे है.दलित संगठनो ने हाटी समिति को फर्जी हाटी बताया और कहा यह संपन्न लोगो का समूह है जो नेताओं के सामने लोईया सूथन और टोपी पहनकर खुद को जनजाति बनने का दिखावा करते है, असल में तो हाटी दलित है जो इनकी बैगार ढोते थे, हाट को जाते थे और बंधुआ थे.

राजगढ के नेहरू मैदान में एकत्रित हुए,शिमला सोलन और सिरमौर के इलावा किनौर उतराखंड के जौनसार बाबर और लाहौल स्पिती से भी दलित यहां आए थे. उन्होने बताया कि जनजाति बनने के बाद उनके साथ वहां पर अत्याचार बढे. जबकि वह कार्यवाही नही कर सकते. दलित संगठनो ने कहा कि सीएम साहब या तो अपना निर्णय बदलो नही तो हम आपको बदल देगे,क्योंकि अगर आपके पास सरकार की ताकत है तो हमारे पास वोट है. अगर चुनाव में यह दलित संगठन सरकार के खिलाफ जाते है तो सरकार को भारी नुकसान हो सकता है. 

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