*सदन में शिक्षा मंत्री का ऐलान, सरकार ने सत्ता में आते ही दिए थे जांच के आदेश*
*राज्य के सरकारी स्कूलों में पूर्व सरकार में नियुक्त किए गए मल्टी टास्कर वर्कर्स को वर्तमान सरकार में नियमित नहीं किया जाएगा।*
नाचन से विधायक विनोद कुमार द्वारा सदन में पूछे गए सवाल में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने यह जानकारी दी है। प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा 6717 पार्ट टाइम मल्टीटास्क वर्कर नियुक्त किए गए हैं। यह मल्टीटास्क वर्कर अलग-अलग स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल उनके वेतन में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है और इसके साथ ही सरकार इन मल्टी टास्क वर्कर्स को नियुक्त करने के बारे में भी कोई विचार नहीं रखती है।
गौर रहे कि नई सरकार में मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसको लेकर कमेटी बनाई है, जिसमें रिकॉर्ड मांगा गया है कि किन नियमों के तहत स्कूलों में मल्टीटास्क वर्कर भर्ती हुए हैं। ऐसे में सरकार इन भर्तियों पर कोई भी फैसला ले सकती है। प्रदेश के स्कूलों में भाजपा सरकार ने आठ हजार मल्टी टास्क वर्कर को रखने के लिए आदेश किए हैं और करीब 50 फीसदी स्कूलों में मल्टीटास्क वर्कर रखे भी जा चुके हैं। जब ये भर्तियां हो रही थीं, तब भी मामला हाई कोर्ट चला गया था। जयराम सरकार को बीच में पॉलिसी बदलनी पड़ी थी।
2408 एसएमसी शिक्षक
राज्य के सरकारी स्कूलों में प्रदेश सरकार ने 2408 एसएमसी शिक्षकों को तैनाती दी है। एसएमसी शिक्षकों को प्रदेश सरकार ही वेतन जारी करती है। इसमें पीजीटी को 14978, डीपीई को 14978, टीजीटी को भी 14978 मासिक वेतन दिया जा रहा है। इसके साथ ही सी एंंड वी को 11609, जबकि जेबीटी शिक्षकों को 9362 प्रति माह वेतन दिया जा रहा है।
बेटियों को संपत्ति में अब समान अधिकार
शिमला — लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने 51 वर्ष पुराने ‘हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम-1972’ में संशोधन किया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से अब पैतृक सम्पत्ति में वयस्क बेटी (विवाहित और अविवाहित) को भी एक अलग इकाई (150 बीघा भूमि तक) माना जाएगा। राज्य सरकार ने मौजूदा अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा 4 में ‘पुत्र’ शब्द के बाद ‘या पुत्री’ शब्द सम्मिलत कर त्रुटि को सही किया है। इस संशोधन के उपरांत बेटी को बेटे के समान एक अलग इकाई के रूप में शामिल किया गया है। इससे पहले, इस अधिनियम में एक वयस्क पुत्र को अलग इकाई के रूप में अतिरिक्त 150 बीघा भूमि तक का प्रावधान था, जबकि वयस्क पुत्री को इस समान अधिकार से वंचित रखा गया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर यह संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने आवश्यक संशोधन कर पुत्रियों वाले लाखों परिवारों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया है। गौरतलब है कि लैंड सीलिंग एक्ट में हुए संशोधन में सोलर पावर प्रोजेक्ट भी अब छूट के दायरे में लाए गए हैं।