गिरीपार क्षेत्र की कुछ पंचायतों को हाटी जनजाति के दर्जे के बारे में एक राजनेता जिस किस्म की दलीलें दे रहे हैं, वह तथ्यों से परे है क्योंकि गिरीपार क्षेत्र कि जिन पंचायतों की ओर नेता इशारा इंगित कर रहे हैं वह हाटी यानी किसी जनजाति के मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं और ना ही इन पंचायतों द्वारा जनजातीय घोषित किए जाने वाले कोई अपनी और से सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा है। यह बुनियादी फर्क वोटों के लिए राजनीति करने वाले व्यक्तियों की समझ से बहुत दूर है। ऐसे में यह कथन पूर्ण पूर्णतया भ्रमित करने वाला है ही नहीं अपितु पूर्णतया असत्य है।
गिरीपार की जिन 11 पंचायतों को हाटी जनजाति के नाम से दर्जा मिला है। वह अपने 5 मापदंडों के आधार पर हाटी बनाए गए हैं शेष गिरी पार की पंचायत उन मापदंडों को पूरा नहीं करती हैं परंतु क्षेत्र को जब शेड्यूल एरिया बनाया जाएगा तो उसमें शेष पंचायते भी लाभान्वित होंगी यह पंचायतों मानपुर देवड़ा गोरख वाला पूरूवाला सालवाला डोबरी कंडेला सिंहपुरा भंगानी खोदरी माजरी आदि हैं जिन्हें केंद्र और राज्य सरकार से क्षेत्र की उन्नति के लिए अतिरिक्त बजट उपलब्ध होगा जोकि इस क्षेत्र की सभी पंचायतों की जनसंख्या के अनुरूप 31000रू पर हेड के हिसाब से होगा। सभी राजनेताओं से अनुरोध करूंगा कि हाटी मुद्दे पर लोगों में अवधारणा पैदा ना करें।