पिछले साल प्रदेश सरकार ने दिया था वर्दी बदलने का विकल्प; फंड के लिए नई व्यवस्था, अभिभावकों पर नहीं पड़ेगा वित्तीय बोझ
प्रदेश के स्कूलों में प्रदेश सरकार द्वारा मनपंसद की वर्दी का विकल्प देने के बाद अभी तक 52 फीसदी स्कूलों ने अपनी यूनिफॉर्म बदली है।
पिछले दिनों उच्च शिक्षा निदेशालय में शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने सभी जिलों के डिप्टी डायरेक्टर के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में कितने फीसदी स्कूलों ने अभी तक वर्दी बदली है, इसका डाटा मांगा गया था, जिसमें यह आंकड़ा सामने आया है। ऐसे में अब आने वाले समय में बाकि सरकारी स्कूलों में मनपसंद की वर्दी स्कूल प्रशासन लागू करेंगे। गौर रहे कि पिछले साल ही सरकार ने स्मार्ट वर्दी योजना में बदलाव किया है। इसमें खास मकसद यही था कि प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल के बच्चे भी स्मार्ट वर्दी में नजर आएं। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि स्मार्ट वर्दी सिलेक्ट करती बार बच्चों या अभिभावकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं डाला जाएगा।
यदि कोई गरीब बच्चा नई वर्दी नहीं खरीद पा रहा है, तो स्कूल के मुखिया अपने फंड से या स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के मदद से या फिर स्थानीय क्षेत्र के लोगों या संस्थाओं की मदद से उसे वर्दी उपलब्ध करवाएंगे। यदि तब भी कुछ नहीं हो पा रहा हो, तो उसे जिला के डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन को मदद के लिए कहा जाएगा। वहीं शिक्षा सचिव ने यह भी कहा है कि फ्री स्कूल यूनिफॉर्म की जो योजना वर्तमान में है, वह जारी रहेगी। यह योजना सिर्फ आरक्षित वर्गों के बच्चों के लिए है। इसलिए अन्य छात्र-छात्राओं की अभिभावकों को स्मार्ट यूनिफॉर्म का खर्चा देना होगा।
वर्दी का पैसा अब स्टूडेंट के खाते में
राज्य के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले कक्षा पहली से 8वीं तक के 5.25 लाख विद्यार्थियों को वर्दी के 600-600 रुपए बैंक खाते में ही दिए जाते हैं। यानि ऑप्शन के साथ स्कूलों ने अब यह व्यवस्था बदली है। पहले शिक्षा विभाग कक्षा पहली से 12वीं तक के हर छात्र को वर्दी के दो-दो सैट मुहैया करवाता था। इसके अलावा उन्हें सिलाई का पैसा भी सरकार की ओर से दिया जाता है, लेकिन अब यह व्यवस्था बदली गई है। यानि वर्दी न खरीद कर सीधा पैसा जारी किया जाता है।
शिक्षकों को ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए भी ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी है। नए शैक्षणिक सत्र से सभी स्कूलों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं। प्रदेश के कुछ स्कूलों ने अपने स्तर पर शिक्षकों के लिए कोड तय किया है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए शिक्षक रोल मॉडल होते हैं। शिक्षकों की ड्रेस और व्यवहार का स्कूली बच्चों पर सीधा असर पड़ता है। जिन स्कूलों में ड्रेस कोड लागू हुए हैं, वहां बदलाव देखा गया है। अब सभी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड शुरू करने की तैयारी है। योजना के तहत शिक्षकों के लिए फॉर्मल ड्रेस और शिक्षिकाओं के लिए साड़ी या साधारण सूट-सलवार का ड्रेस कोड तय हो सकती है। देश के कई राज्यों में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू है।