हिमाचल प्रदेश को फल राज्य के नाम से भी जाना जाता है तथा यहां के लोग कृषि, बागवानी व पशुपालन जैसे व्यवसाय कर अपनी आजीविका कमाते
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा किसानों, बागवानों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। जिनका लाभ उठाकर किसान अपनी आर्थिकी को सुदृढ कर रहे हैं। जिला सिरमौर की जलवायु बागवानी के उपयुक्त है जिला के किसान आम, लीची, स्ट्रॉबेरी, कीवी, अमरूद, मौसमी व नींबू का उत्पादन कर रहे हैं जिसका विक्रय स्थानीय मंडियों के साथ-साथ अन्य राज्यों की मंडियों में भी किया जा रहा हैं।
प्रदेश सरकार का प्रयास है कि बागवानों को उनके उत्पाद का बेहतर दाम मिले। जिला सिरमौर के धौलाकुंआ में हिमाचल सरकार के उद्यान विभाग का फल विधायन केन्द्र क्रियाशील है जहां फल का जूस निकाला जाता है।
उद्यान विभाग के फल प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ. बी.एम. चौहान बताते हैं कि जिला सिरमौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोग सेब, नाशपाती, पलम, आडू, खुमानी तथा किवी का उत्पादन कर रहे है जबकि मैदानी इलाकों में आम, लीची, अमरूद, नींबू, मौसमी, आंवला तथा स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करते हैं।
वह बताते है कि फलों का उत्पाद बाजार में एक साथ आता है तथा जो फल अच्छे ग्रेड का होता है उसका बागवानों को मंडियों में अच्छा दाम मिलता है।
डॉ. चौहान बताते है कि छोटे आकार तथा दागी फल जिनका बाजार में अच्छा दाम नहीं मिलता उसके विधायन के लिए प्रदेश सरकार ने जिला सिरमौर के धौलाकुंआ तथा राजगढ़ में फल विधायन केन्द्र स्थापित किया जहां फूड प्रोसेसिंग का कार्य किया जाता है। वह बताते है कि फलों के विधायन से विभिन्न उत्पाद जिसमें जूस, जैम, चटनी, स्क्वैश तथा आचार तैयार किया जाता है और आंवले का मुरब्बा तथा जूस भी तैयार किया जाता है। आंवले का जूस स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी है जो शुगर मुक्त होता है।
उन्होंने बताया कि धौलाकुआं विधायन केंद्र के तहत 6 विक्रय केन्द्र है जिसमें 3 सरकारी क्षेत्र में जबकि 3 निजी क्षेत्र में क्रियाशील है। इसी प्रकार राजगढ विधायन केन्द्र के तहत एक विक्रय केन्द्र हैं। इन सभी 7 विक्रय केन्द्रो से सालाना 25 मीट्रिक टन पेय तथा अन्य आचार, चटनी व जैम विक्रय किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके लिए किसानों से भी कच्चा माल सरकारी दर पर खरीदा जाता है। जिला के सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को भी विधायन केन्द्र की गतिविधियों के बारे अवगत करवाया जाता है जिससे उनकी कृषि तथा बागवानी कार्यो में रूचि बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि विधायन केंद्र के माध्यम से सामुदायिक डिब्बा बंदी सेवा कम खर्च पर संचालित की जा रही है जिसके तहत किसान अपना कच्चा माल देकर अपने स्तर पर भी यह उत्पाद तैयार कर सकते हैं। इसके साथ ही गांव में युवाओं, बेरोजगार, स्वयं सहायता समूह, स्थानीय किसानों बागवानों को भी समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इस केन्द्र के द्वारा 13 प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर 500 बागवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। डॉ. चौहान ने बागवानों से आह्वान किया कि प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए विधायन केन्द्र का दौरा कर लाभ उठाएं और उत्पादों का लम्बी अवधि तक उपयोग करके अपनी आर्थिकी को सुदृढ बनाएं।