सात कक्षाएं, चार कमरे, तीन साल से पेड़ के नीचे पढ़ाई
पांवटा साहिब में सरकारी स्कूल रामपुरघाट का हाल, कमरों में भी क्षमता से ज्यादा बैठाए जा रहे बच्चे
पांवटा साहिब (सिरमौर)। सरकारी स्कूलों में व्यवस्था का एक सच यह भी है सिरमौर जिले के पांवटा साहिब शहरी क्षेत्र से महज पांच किलोमीटर दूर रामपुरघाट स्कूल को तीन साल पहले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला का दर्जा तो मिला, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाई
गर्मी हो या सर्दी आज भी स्कूल में तीन कक्षाएं खुले आसमान के नीचे लग रही हैं। आठवीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थी पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। एक कक्षा के बच्चों को बरामदे में बिठाया जा रहा है। जिन कमरों में कक्षाएं लग रही हैं, वहां भी क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा है।
आठवीं से 10वीं कक्षा में बच्चे ज्यादा होने पर ए और बी सेक्शन
कोय
380 विद्यार्थी ग्रहण कर रहे शिक्षा, आठवीं से दसवीं कक्षा में बच्चे ज्यादा होने पर ए और बी सेक्शन भी बनाए
भी बनाए गए हैं। बारिश होने पर पढ़ाई तो दूर बच्चे सिर छिपाने की जगह ढूंढते हैं। स्कूल के चार कमरों में कक्षाएं लग रही हैं। छोटे
रामपुरघाट स्कूल में पेड़ के नीचे चल रहीं कक्षाएं और कमरे में बैठाए गए क्षमता से अधिक विद्यार्थी संवाद
एक कमरे में प्रधानाचार्य कक्ष है। दूसरे कमरे को स्टाफ के लिए रखा गया है। एक अन्य कमरे में कंप्यूटर लैब है। इस स्कूल में 380 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां प्रधानाचार्य समेत भरना भी जरूरी हो गया है। हैरानी लिखा जाएगा। संवाद
की बात है कि शहरी क्षेत्र के इतने समीप चल रहे इस स्कूल में अधीक्षक, वरिष्ठ सहायक, लिपिक, डीपीई, डॉटा आपरेटर, चौकीदार और चतुर्थ कर्मी के पद ही सृजित नहीं किए गए हैं। रात्रि चौकीदार नहीं है।
स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार ने कहा कि शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ के करीब आधा दर्जन पद सृजित करने और चार कमरों की मांग सरकार व विभाग को भेजी जा रही है। प्रधानाचार्य मुरलीधर शर्मा ने कहा कि कमरों की कमी से काफी दिक्कतें आ रही हैं। मजबूरन बच्चों को बरामदे और पेड़ के नीचे बैठाना पड़ रहा है। एसएमसी के माध्यम से सरकार व विभाग को मांग भेजी जाएगी। उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि इस मामले का वह पता
16 शिक्षक हैं। बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी के चलते स्कूल में सेक्शन बनाए गए हैं। ऐसे में टीजीटी साइंस (गणित व विज्ञान) के दो अतिरिक्त पद लगाएंगे। यदि ऐसा है तो सरकार को