300 यूनिट निशुल्क बिजली की घोषणा बजट में होने के आसार, बोर्ड ने सरकार को सौंपा प्रस्ताव

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*प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के पहले बजट भाषण में हो सकती है। बिजली बोर्ड प्रबंधन ने सरकार को 300 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने का प्रस्ताव सौंप दिया है।*

*हिमाचल प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के पहले बजट भाषण में हो सकती है।*

बिजली बोर्ड प्रबंधन ने सरकार को 300 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने का प्रस्ताव सौंप दिया है। इसके लिए प्रतिमाह करीब 100 करोड़ का अतिरिक्त खर्च दर्शाया गया है। इसके अलावा जनवरी से मार्च 2023 तक 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने के लिए बोर्ड ने अनुदान राशि भी मांगी है। 14 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक अभी निशुल्क बिजली मिल रही है। इन उपभोक्ताओं के मासिक बिजली बिल शून्य हो गए हैं। ऐसे उपभोक्ताओं से बोर्ड मीटर रेंट और अन्य सेवा शुल्क भी नहीं ले रहा है।

प्रदेश में घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं की कुल संख्या 22.58 लाख है। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली देने की गारंटी दी हुई है। इसी कड़ी में बिजली बोर्ड प्रबंधन ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंप दिया है। बीते दिनों विशेष मुख्य सचिव ऊर्जा रामसुभग सिंह इस संदर्भ में बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का आर्थिक संतुलन गड़बड़ा गया है। बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है। 125 यूनिट प्रतिमाह निशुल्क बिजली की एवज में सरकार की ओर से बोर्ड को प्रतिमाह 66 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।

31 दिसंबर 2022 तक के लिए पूर्व की भाजपा सरकार ने इसका भुगतान कर दिया है। अब जनवरी से मार्च 2023 तक बोर्ड को 125 यूनिट की निशुल्क बिजली योजना जारी रखने के लिए सरकार से अनुदान की दरकार है। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार अपने हिस्से की सप्लाई बोर्ड को दे सकती है। प्रदेश में स्थापित बिजली परियोजनाओं से सरकार को 12 फीसदी की रायल्टी मिलती है। इस शेयर को सरकार अधिकांश समय बेचती है। इसके अलावा सरकार के पास प्रतिमाह 100 करोड़ से अधिक की सब्सिडी बोर्ड को देने का विकल्प भी है। अब इनमें से कौन सा विकल्प मुख्यमंत्री चुनते हैं। इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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