शिमला में धारा 144 के उलंघन पर प्रदर्शनकारियों व पुलिस के
बीच हुई थी खूनी झड़प..
शिमला- हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन की मांग को लेकर बीते कल प्रदेश भर में माहौल तनावपूर्ण बना रहा। सूबे की राजधानी शिमला समेत अन्य कई जगह आयोग के गठन की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच खूनी झड़प भी हुई। एएसपी समेत कुल नौ पुलिसकर्मी घायल हुए है।
बतौर रिपोर्ट्स, राजधानी शिमला के अलावा सोलन, सिरमौर, बिलासपुर समेत प्रदेश के कई अन्य जिलों में प्रदर्शन के दौरान पुलिस व कई अन्य वाहनों पर इन प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव किया गया।
अब खबर है कि इस पूरे बवाल के दौरान एक एएसपी समेत कुल नौ पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। ऐसे में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए बालूगंज थाने में हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
इसी तरह सिरमौर के ददाहू थाना क्षेत्र के अंतर्गत भी 120 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। वहीं, बिलासपुर जिले में तो 19 घंटे तक देवभूमि क्षत्रिय संगठन का महासचिव योगेश ठाकुर हिरासत में रखा गया। इसके साथ ही संगठन से जुड़े तीन अन्य सदस्यों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया।
धारा 144 का उल्लंघन कर मचाया बबाल..
गौरतलब है कि शिमला शहर के विभिन्न स्थानों पर धारा 144 लागू थी। इसके बावजूद भी देवभूमि क्षत्रिय संगठन और देवभूमि सवर्ण संगठन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने कई जगह धारा 144 तोड़ी। वहीं, राजधानी शिमला में पांच घंटे तक प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान शिमला शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी खासी तंग रही।
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वहीं, इससे पहले सिरमौर से शिमला रैली में जा रहे देवभूमि क्षत्रिय संगठन के कार्यकर्ताओं और पुलिस की मंगलवार रात को दो सड़का के समीप भी झड़प हुई। नाहन, शोघी और तारादेवी में भी प्रदर्शनकारी पुलिस से उलझे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के पथराव में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इसके अलावा उग्र भीड़ ने क्रॉसिंग के पास लगे मुख्यमंत्री के होर्डिंग फाड़ दिए, बैरिकेड तोड़ दिए। जिस कारण माहौल तनावपूर्ण रहा।
जानें पूरा घटनाक्रम..
हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। ऐसे में सूबे का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। अब ऐसे मौसम में नेता और पार्टियां तो बरसाती मशरूम की तरह जगह-जगह पनपने लग पड़ी हैं।
वहीं, प्रदेश के बहुत से वर्ग के लोगों में मौजूद सरकार के प्रति नाराजगी भी है। इस कारण सूबे में होने वाले विरोध प्रदर्शनों की तादात भी खूब बढ़ गई है। इसका ताजा उदहारण बुधवार को सूबे की राजधानी शिमला में देखने को मिला।
जहां देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुमित ठाकुर दल बल
के साथ आ धमके। राजधानी शिमला में DC के आदेशों पर धारा 144 लागू किए जाने के बावजूद एक तो इन लोगों ने कानून धज्जियां उड़ाई और तो और अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों से भी उलझ गए।
पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच इस दौरान झड़प भी हुई। इस पूरी झड़प में ASP सहित चार जवान घायल हुए। आंदोलनकारियों से हुई झड़प में घायल हुए एक जवान की तस्वीर और वीडियो सुबह से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, लेकिन इसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा।
वहीं, इस पूरे संघर्ष का निष्कर्ष यह निकला कि पूर्व कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री के पोते रुमित ठाकुर ने राजनीति में उतरकर सरकार को सत्ता से बाहर फेंकने की बात कहते हुए पूरे आंदोलन को मिट्टी में मिला दिया।
जब प्रदर्शन दौरान दो फाड़ हुआ संघटन..
अब एक तरफ उनके ही संगठन के लोग रुमित के विरोध में उतर आए हैं। इन लोगों का मानना है कि रुमित ने अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने के चक्कर में हम सबका इस्तेमाल किया है।
मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने यह तक कह दिया कि सत्ता का लालच था तो पहले बोल देते।
दूसरी तरफ इस तरह का ऐलान कर रुमित ठाकुर ने खुद को सरकार के आंखों की किरकरी बना लिया है और अब इस मसले पर कांग्रेस भी उनका साथ न दे, क्योंकि अगर यह पार्टी बनती है, तो ये लोग कांग्रेस के लिए भी मुसीबत साबित हो सकते हैं। राज्यों के 227 सप्लायर ने फर्जी बिल से लगाया चूना..
गौरतलब है धर्मशाला में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सूबे के सीएम जयराम ठाकुर संगठन के कार्यकर्ताओं से आयोग का गठन करने का वायदा किया था।
वहीं, चुनावी साल होने की वजह से यह माना भी जा रहा था कि प्रदेश सरकार सूबे के सवर्ण वोट बैंक को रिझाने के लिए आयोग का गठन कर भी देगी लेकिन राजधानी में जो कुछ भी हुआ वह संघटन के प्रदर्शन को कमजोर कर बैठे।
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