हिमाचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 11083 पद खाली, स्कूल लेक्चरर की वेकेंसी सबसे अधिक

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों (Teachers in Himachal government schools) के 11 हजार 83 पद रिक्त चल रहे हैं. प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी अध्यापकों के 3,738 पद रिक्त चल रहे हैं. वहीं, टीजीटी नॉन मेडिकल के कुल 396 पद खाली हैं. टीजीटी मेडिकल के 2911 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 2802 पद भरे हुए हैं और 109 पद खाली हैं.

शिमला: हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में वैसे देश के अग्रणीय राज्यों में शामिल (literacy rate in himachal) है, लेकिन वर्तमान में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 11 हजार 83 पद रिक्त चल रहे हैं. इनमें सबसे अधिक स्कूल लेक्चरर के 2248 पद रिक्त चल रहे हैं. इसके अलावा प्रदेश के 153 प्राइमरी स्कूलों में एक भी छात्र का दाखिला नहीं हुआ है. इन स्कूलों के भविष्य पर सरकार की अभी फैसला करना है.

प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी अध्यापकों के 3,738 पद रिक्त चल रहे हैं. जेबीटी अध्यापकों के 19 हजार 633 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 15,895 पद भरे हुए हैं. इसके अलावा प्रदेश में 2100 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 10 या 10 से कम बच्चे हैं. वहीं अन्य विषय के अध्यापकों की बात करें तो टीजीटी आर्ट्स के 8,307 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 8182 पद भरे हुए हैं टीजीटी आर्ट्स के 125 पद ही खाली हैं. टीजीटी नॉन मेडिकल के कुल 5125 पद स्वीकृत हैं और 4,756 पद भरे हुए हैं.टीजीटी नॉन मेडिकल के कुल 396 पद खाली हैं. टीजीटी मेडिकल के 2911 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 2802 पद भरे हुए हैं और 109 पद खाली हैं. शास्त्री के 5018 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 4237 पद भरे हुए हैं और 781 पद खाली हैं. भाषा अध्यापकों के 3097 पद स्वीकृत हैं इनमें से 2997 पद भरे हुए हैं और 100 पद खाली (Teachers in Himachal government schools) हैं. ड्राइंग मास्टर के 4560 पद स्वीकृत हैं और 2846 पद ही भरे हुए हैं. वर्तमान में ड्राइंग मास्टरों के 1714 पद खाली हैं. शारीरिक शिक्षकों के 4505 पद स्वीकृत हैं इनमें से 2606 पद भरे हुए हैं और 1899 पद खाली हैं. कुल मिलाकर प्रदेश के स्कूलों में स्वीकृत 19 हजार 633 पदों में से अध्यापकों के 3738 पद रिक्त चल रहे हैं.

प्रदेश के विभिन्न जिलों में 10 हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के भवनों के दर्जनों कमरे विभिन्न कारणों से प्रयोग में नहीं लाए जा रहे हैं. प्रदेश के विभिन्न जिलों में 27 प्राइमरी स्कूल भवन ऐसे हैं, जहां दो साल अथवा इससे भी अधिक समय से एक भी छात्र न होने की वजह से उन इमारतों व कमरों का प्रयोग नहीं हो रहा. बिलासपुर के तीन प्राइमरी स्कूल वर्ष 2020 से बिना प्रयोग के हैं. इसी तरह हमीरपुर जिला के पांच प्राइमरी स्कूल बिना प्रयोग के हैं. कारण यहां भी शून्य नामांकन है.हालात ये हैं कि हमीरपुर जिला की अंबोटा प्राथमिक पाठशाला का भवन चार साल से सूना पड़ा हुआ है. जिला कांगड़ा के चार प्राइमरी स्कूल शून्य नामांकन वाले हैं और यहां स्कूल भवनों में ताला लटका है. इसी तरह किन्नौर के छह प्राइमरी स्कूल, लाहौल-स्पीति के सात व ऊना जिला के दो स्कूल ऐसे हैं, जहां भवन खाली पड़े हुए हैं. तीन मिडिल स्कूल भी इसी कैटेगरी में हैं. वहां भी कोई छात्र न होने के कारण भवन बिना प्रयोग के हैं. इनमें दो स्कूल हमीरपुर जिला के व एक स्कूल लाहौल-स्पीति जिला का है.
बरमाणा स्कूल में 15 साल से छह कमरों में लटके हैं ताले: बिलासपुर जिला के बरठीं स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हॉस्टल के हॉल, बाथरूम, टॉयलेट्स व दो कमरों का सेट बिना प्रयोग के है. इसी प्रकार सीनियर सेकेंडरी स्कूल बरमाणा (Senior Secondary School Barmana) के एक भवन के छह कमरे 15 साल से प्रयोग में नहीं हैं. कुल्लू के जगतसुख सीनियर सेकेंडरी स्कूल में नौ कमरों का भवन तीन साल से बिना प्रयोग के है. मंडी के द्रंग स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ओबीसी हॉस्टल के 24 कमरे 11 साल से बंद हैं और उनका कोई प्रयोग नहीं हो रहा. सिरमौर के नौहराधार स्कूल हॉस्टल के 8 कमरे नौ साल से, सराहां स्कूल के हॉस्टल के भी आठ ही कमरे तीन साल से प्रयोग में नहीं हैं.

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