आज पांवटा साहिब व्यवस्था परिवर्तन मंच के द्वारा आंजभोज क्षेत्र में स्थित सरकारी अस्पताल की दयनीय हालत बारे व सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में निशुल्क अल्ट्रासाउंड न किए जाने वाले तहसीलदार को ज्ञापन प्रेषित किया।
मंच के संयोजक सुनील चौधरी व अधिवक्ता नरेश चौधरी ने कहा राजपुरा अस्पताल में किसी भी प्रकार के टेस्ट, ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे इत्यादि की सुविधा उपलब्ध नहीं है। भवन की हालत भी जर्जर हो चुकी है, जिसमें की बैठना भी खतरे से खाली नहीं है। 30 बेड के इस हॉस्पिटल में केवल मात्र 10 से 12 बेड ही लगे हैं ,जोकि मरीजों के बैठने के लायक भी नहीं हैं। जहां पर दवाइयां स्टोर की गई हैं वो भी दयनीय स्थिति में हैं। बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है जिससे कि दवाइयों को बचा पाना बहुत कठिन है।
स्कूलों ,कॉलेजों व महिलाओं को दिए जाने वाले सेनेटरी पैड भी अस्पताल के स्टोरों में पड़े पड़े सड़ चुके हैं जिन पर प्रबंधन का ध्यान नहीं है। मंच ने तहसीलदार से कहा है कि आंजभोज क्षेत्र बने एकमात्र अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े। इस अस्पताल से संबंधित बनी आवासीय कॉलोनी की हालत भी अत्यंत दुर्लभ है। किसी प्रकार का रखरखाव आज तक नहीं किया गया है। किसी भी प्रकार की 108 एम्बुलेंस की सुविधा भगानी क्षेत्र व राजपुरा अस्पताल में नहीं है।
मंच सदस्य मयंक चौहान ने कहा की रेडियोलोजिस्ट की स्थाई नियुक्ति के लिए मंच के द्वारा दिसंबर माह में 11 दिनों तक सिविल हॉस्पिटल परिसर के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया था। परंतु सात महीने उपरांत भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं आ सका। उपमंडल अधिकारी पांवटा, तहसीलदार व व्यवस्था परिवर्तन मंच के मध्य धरने को समाप्त करने को लेकर एक समझौता किया गया था, जिसमें प्रशासन की तरफ से कहा गया था कि जब तक स्थाई तौर पर रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं होती तब तक पांवटा के किसी निजी अस्पताल में सभी गर्भवती महिलाओं के निशुल्क अल्ट्रासाउंड रोगी कल्याण समिति व प्रशासन के माध्यम से निशुल्क करवाए जाएंगे। परंतु सात महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन अपने वादे को पूरा नहीं कर पाया हैं। गरीब, मजदूर व आमजन लोगों , महिलाओ आदि को अल्ट्रासाउंड के लिए महंगे हॉस्पिटलों का रुख करना पड़ रहा है। मंच ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यह मंच के साथ हुए समझौते का अपमान है। प्रशासन पांवटा विधानसभा के साथ-साथ नाहन,रेणुका व शिलाई की जनता के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जोकि की आगामी समय में बर्दास्त नहीं होगा।
आज भी डॉक्टर के द्वारा महंगी दवाइयां, महंगे टेस्ट लिखे जा रहे हैं। किसी प्रकार की निशुल्क दवाईयों की स्टॉक लिस्ट अस्पताल परिसर में नहीं लगी है। कुछ निजी एंबुलेंस के नाम पर भी कमीशन का खेल जारी है। मंच के द्वारा दिए गए 11 सूत्री मांग पत्र भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आपातकाल स्थिति के लिए किसी भी एंबुलेंस की जानकारी कि कोई भी लिस्ट अस्पताल परिसर में नहीं लगाई गई हैं।
मंच ने पुन: कहा है कि अगर 15 दिन के भीतर निशुल्क अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया गया तो प्रशासन पुन महाआंदोलन के लिए तैयार रहें।
इस मौके पर व्यवस्था परिवर्तन मंच के संयोजक सुनील चौधरी, मयंक चौहान, अनिल कुमार, अधिवक्ता नरेश कुमार चौधरी, धर्मपाल, पंकज गुप्ता, अमित कुमार कमलजीत सिंह आदि मौजूद रहे।