पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में एक बड़ा मामला सामने आया है जहां डॉक्टरों द्वारा 60 हजार रुपए लेकर गरीब मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इस खुलासे में बाहर से प्राइवेट डॉक्टर की संलिप्तता और मैडिकल स्टोर के बिल भी सामने आए हैं।
पांवटा साहिब का सिविल अस्पताल यूं तो हमेशा से ही विवादों में रहा है मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक यहां की शिकायतें पहुंचती रही है डाक्टरों के गोरखधंधे में पिस रहे गरीब लोगों का दर्द कोई नहीं सुन पाया, लेकिन इस बार कमीशन खोरी की सारी हदें लांघ कर डाक्टरों ने मरीजों की जेब पर सीधे हाथ डाला है।
जिस अस्पताल में लोगों को मुफ्त सुविधा मिलनी चाहिए वहां पर मरीजों से मोटी रकम ऐंठी जा रही है सिर्फ इतना ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर और बाहरी जिला के मेडिकल स्टोर से मैंहगी दवाई और दूसरा सामान भी मंगवाया जा रहा है।
इस पूरे मामले को लेकर जब ASHOKA TIMES के पत्रकारों द्वारा अस्पताल में मरीजों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पांवटा सिविल अस्पताल में हड्डी विशेषज्ञ 60 हजार रुपए लेकर आप्रेशन कर रहे हैं इतना ही नहीं बाहर से प्राइवेट डॉक्टरों को भी बुलाया जा रहा है उन्हें भी मोटी कमीशन बटोरने का मौका मिल रहा है ।
इस बारे में भजौन निवासी मरीज़ के पिता से जब बात की गई तो बेहद साधारण बात चीत में उन्होंने बताया कि 6 रोज पहले बेटे का एक्सीडेंट हो गया था टांग में फ्रैक्चर था डॉक्टर ने प्लेट और रोड डालने के लिए कहा था इस दौरान उन्होंने 60 हजार रुपए दिए जिसके बाद उनके बेटे का ऑपरेशन किया गया उन्होंने बताया कि बेटे के ऑपरेशन के लिए उन्होंने बड़ी रकम ब्याज पर उठाई है।
वही दूसरे मामले में एक मरीज की पत्नी ने बताया कि उनके पति की टांग का ऑपरेशन हुआ है जिसके लिए बाहर से राॅड और प्लेट्स मंगवाई गई है जिसके लिए डॉक्टरों को 60 हजार रुपए दिए हैं।
वही बता दें कि इन सभी ऑपरेशन में सोलन जिले की मेडिकल शॉप से ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली दवाएं, राॅड और प्लेट के बिल भी मंगवाएं गए हैं।
वही एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि सभी मरीजों से 60 हजार लिए जा रहे हैं क्या ऐसा संभव है कि सभी को एक जैसी और एक जितनी चोट आई हो । ऐसा भी संभव है कि बेवजह मरीजों पर रॉड और प्लेट्स का वजन डाला जा रहा हो। कई बार फैक्चर में प्लास्टर से भी काम चल सकता है।
बता दें कि सिविल अस्पताल में चल रहे इस गोरखधंधे में एनेस्थीसिया के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाया जाता है और सोलन एक जन औषधि केंद्र से दवाएं और प्लेट्स राॅड आदि खरीदी जाती हैं जोकि सीधे-सीधे सरकारी अस्पतालों के नियमों का उल्लंघन है।
सरकारी अस्पताल में 60 हजार लेकर गरीब मरीजों का हो रहा इलाज….
पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में एक बड़ा मामला सामने आया है जहां डॉक्टरों द्वारा 60 हजार रुपए लेकर गरीब मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इस खुलासे में बाहर से प्राइवेट डॉक्टर की संलिप्तता और मैडिकल स्टोर के बिल भी सामने आए हैं।
पांवटा साहिब का सिविल अस्पताल यूं तो हमेशा से ही विवादों में रहा है मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक यहां की शिकायतें पहुंचती रही है डाक्टरों के गोरखधंधे में पिस रहे गरीब लोगों का दर्द कोई नहीं सुन पाया, लेकिन इस बार कमीशन खोरी की सारी हदें लांघ कर डाक्टरों ने मरीजों की जेब पर सीधे हाथ डाला है।
जिस अस्पताल में लोगों को मुफ्त सुविधा मिलनी चाहिए वहां पर मरीजों से मोटी रकम ऐंठी जा रही है सिर्फ इतना ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर और बाहरी जिला के मेडिकल स्टोर से मैंहगी दवाई और दूसरा सामान भी मंगवाया जा रहा है।
इस पूरे मामले को लेकर जब पत्रकारों द्वारा अस्पताल में मरीजों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पांवटा सिविल अस्पताल में हड्डी विशेषज्ञ 60 हजार रुपए लेकर आप्रेशन कर रहे हैं इतना ही नहीं बाहर से प्राइवेट डॉक्टरों को भी बुलाया जा रहा है उन्हें भी मोटी कमीशन बटोरने का मौका मिल रहा है ।
इस बारे में भजौन निवासी मरीज़ के पिता से जब बात की गई तो बेहद साधारण बात चीत में उन्होंने बताया कि 6 रोज पहले बेटे का एक्सीडेंट हो गया था टांग में फ्रैक्चर था डॉक्टर ने प्लेट और रोड डालने के लिए कहा था इस दौरान उन्होंने 60 हजार रुपए दिए जिसके बाद उनके बेटे का ऑपरेशन किया गया उन्होंने बताया कि बेटे के ऑपरेशन के लिए उन्होंने बड़ी रकम ब्याज पर उठाई है।
वही दूसरे मामले में एक मरीज की पत्नी ने बताया कि उनके पति की टांग का ऑपरेशन हुआ है जिसके लिए बाहर से राॅड और प्लेट्स मंगवाई गई है जिसके लिए डॉक्टरों को 60 हजार रुपए दिए हैं।
वही बता दें कि इन सभी ऑपरेशन में सोलन जिले की मेडिकल शॉप से ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली दवाएं, राॅड और प्लेट के बिल भी मंगवाएं गए हैं।
वही एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि सभी मरीजों से 60 हजार लिए जा रहे हैं क्या ऐसा संभव है कि सभी को एक जैसी और एक जितनी चोट आई हो । ऐसा भी संभव है कि बेवजह मरीजों पर रॉड और प्लेट्स का वजन डाला जा रहा हो। कई बार फैक्चर में प्लास्टर से भी काम चल सकता है।
बता दें कि सिविल अस्पताल में चल रहे इस गोरखधंधे में एनेस्थीसिया के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाया जाता है और सोलन एक जन औषधि केंद्र से दवाएं और प्लेट्स राॅड आदि खरीदी जाती हैं जोकि सीधे-सीधे सरकारी अस्पतालों के नियमों का उल्लंघन है।
सरकारी अस्पताल क्या है नियम….
जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल में किसी भी बाहरी प्राइवेट या सरकारी डॉक्टर को ऑपरेशन या मदद करने की इजाजत नहीं दी जाती, नंबर दो अस्पताल में अगर कोई सुविधा नहीं है तो उसके लिए मेडिकल कॉलेज नाहन रेफर किया जाता है जहां पर मरीज का ऑपरेशन 10 से 15 हजार रुपए में आसानी से हो जाता है। दूसरी ऑप्शन सूरजपुर में ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में भी इस तरह के ऑपरेशन किए जा रहे हैं वहां पर भी बेहद कम खर्चे में लोगों को यह सुविधा दी जाती है।
क्या कहते अधिकारी….
वही इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय पाठक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला पहले भी संज्ञान में आया था और डॉक्टर्स को सख्त निर्देश भी दिए गए थे। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में चल रहे ऑपरेशंस को लेकर हम प्रयास कर रहे हैं कि आरकेएस या अन्य किसी माध्यम से डॉक्टर को उनकी जरूरत की दवाएं और दूसरा सामान उपलब्ध करवा सकें ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त में सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर कोई लिखित शिकायत सामने आती है तो इस पूरे मामले पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।