*मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर चयन के लिए चयन समिति के सदस्य होने के नाते मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से मिलने आए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई सरकार के तीन कामों पर आपत्ति जताई है।*
*जयराम ठाकुर ने बताया कि कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में यदि पेपर लीक का मामला है, तो सरकार जांच करे। दोषियों पर कार्रवाई करे,*
लेकिन आयोग को सस्पेंड कर भर्ती प्रक्रियाओं को प्रभावित करना ठीक नहीं है। राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार होना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार के दौरान कैबिनेट के फैसले और जनता की मांग के आधार पर खोले गए दफ्तरों को बंद करना अनुचित है और राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुंदरनगर में 1972 में खुली पुलिस चौकी को भी नई सरकार ने डिनोटिफाई कर दिया। इस अस्थायी चौकी को पूर्व सरकार के दौरान स्थायर चौकी में बदला गया था, लेकिन स्थायी चौकी की नोटिफिकेशन रद्द होने के कारण यह चौकी ही खत्म हो गई।
पूर्व मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना गलत
जयराम ठाकुर ने पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर पर एफआईआर दर्ज करने के मामले को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि नारे लगाने वाले कोई और थे पूर्व मंत्री सिर्फ वहां मौजूद थे। यदि राजनीतिक आधार पर इसी तरह कार्यवाही करनी है तो फिर आने वाला समय अच्छा नहीं होगा। पूर्व मंत्री खुद इस घटना की निंदा कर चुके हैं और वह कह चुके हैं कि इस तरह के नारों का वह समर्थन नहीं करते।
नाकामियां छिपाने के लिए भाजपा को कोस रही कांग्रेस
स्टाफ रिपोर्टर — शिमला
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि मंगलवार को मुख्यमंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सरकार को बचाने की आवश्यकता पड़ गई। उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की नाकामियों को छुपाने के लिए आज मुख्यमंत्री को खुद सामने आना पड़ा। कांग्रेस सरकार का शुरुआती दौर ही नाकामियों भरा चल रहा है, वर्तमान में जेओए आईटी पेपर लीक मामला सामने आया है। ऐसे में मुख्यमंत्री को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अब सत्ता में उनकी सरकार है। मुख्यमंत्री सुक्खू की बयानबाजी दिखा रही है कि वह अपनी सरकार की कमियों को छुपाने के लिए भाजपा को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को अपराधियों पर कार्यवाही करनी चाहिए ना की भाजपा के ऊपर आरोप लगाने चाहिए। आज कांग्रेस सत्ता में है और भाजपा विपक्ष में है, यह कांग्रेस के नेताओं को ध्यान में रखना चाहिए। पेपर लीक मामला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही माना जाएगा।