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हम हाटियो की पुकार…📯 ऐ दिल्ली की सल्तनत अब तो हम हाटियो की आवाज सुनो… अब तो सब्र का बांध टूट रहा है ,अब तो हमारी मांग सुनो ।

हम हाटियो की पुकार…📯
ऐ दिल्ली की सल्तनत अब तो हम हाटियो की आवाज सुनो…
अब तो सब्र का बांध टूट रहा है ,अब तो हमारी मांग सुनो ।

बहुत हो गया अब तो सताना ,अब तो हाटी जाग चुके है…
अब हमारी याचना नहीं ,अब तो हमारा प्रतिरोध सुनो ।

ऐ दिल्ली की सल्तनत अब तो हम हाटीयो की आवाज सुनो…
अब सब्र का बांध टूट रहा है अब तो हमारी मांग सुनो !

हमने अब तो ठान लिया है ,हक अपना जान लिया है….
अब तो रण कुछ ऐसा होगा , जो ना कभी जैसा होगा ।

हाटी अपना हक़ मांगते ,ना किसी से भीख मांगते…..
हाटी अब जाग चुके है , हक अपना जान चुके है।

हम हाटी,अब इतिहास कुछ ऐसा लिखेंगे…
जो ना कभी जैसा लिखेंगे !
ऐ दिल्ली की सल्तनत,अब तो हम हाटियो की आवाज सुनो…
अब तो सब्र का बांध टूट रहा है , अब तो हमारी मांग सुनो। ‌‍

एकत्र हो जाओ अब तो हाटी वीरो,हमे आज यह प्रण लेना होगा
हक अपना हाटी का हर हाल में, अब तो हमे पाना होगा !

आज हाटी के युवाओं,माताओं,बहनों को यह जताना होगा…
हक हाटी का जन जन तक हम सबको पहुंचाना होगा !

आज हम सबको,एक जनांदोलन बनाना होगा
हक अपना हाटी का हर हाल में,अब तो हमें पाना होगा

ऐ दिल्ली की सल्तनत, अब तो हम हाटियो की आवाज सुनो…
अब सब्र का बांध टूट रहा है,अब तो हमारी मांग सुनो !

लेखक- हेमराज राणा, सिरमौर

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