फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी आमलकी एकादशी के रूप में मनाई जाती है। प्रत्येक एकादशी की तरह इस दिन भी भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि जो व्यक्ति आमलकी एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ रखता है, उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।आमलकी का अर्थ आंवला होता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।आमलकी एकादशी का उल्लेख पद्म पुराण एवं गरुड़ पुराण में भी मिलता है। आंवले के पेड़ में त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का वास माना जाता है. ब्रह्मा जी आंवले के ऊपरी भाग में, शिवजी मध्य भाग में और भगवान विष्णु आंवले की जड़ में निवास करते हैं।जो व्यक्ति आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की तथा आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें पुण्यफल की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख-समृद्धि और प्रेम का वातावरण बना रहता है।
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