पाँवटा साहिब का रेफ़र हास्पिटल के नाम से मशहूर हॉस्पिटल फिर से सुर्ख़ियों में आ गया बताया जा रहा है सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर द्वारा कमीशन के चक्कर में प्रोपगंडा दवाइयां लिखी जा रही बल्कि डॉक्टर संजीग्धा बंसल ने अपनी पसंद की मेडिकल स्टोर का पता तक नाम लेकर बता रहे ये दवाई उस मेडिकल से लेना जहां से उनकी मोटि
कमीशन सेट है ऐसा मामला तब सामने आया जब एक बुजुर्ग को दर्द हुआ तो डॉक्टर ने प्रोपेगंडा वाली दवाई लिखी जो सस्ती रेट पर आती है लेकिन MRP जायदा छपा होता है जिस कारण वह महँगी बिकती है जबकि जो एथिकल दवाइयां अति है वह दवाई ज़ायदा असर दार होती है और MRP भी बहुत कम होता है मार्जन भी बहुत ही लिमिटेड होता है लेकिन मोटी कमीशन खाने के चक्कर में सरकारी हॉस्पिटल के कई डॉक्टर ऐसे है जो जायदा MRP वाली दवाईयां लिख रहे हो और सेटिंग वाली मेडिकल स्टोर पर भेज रहे है जबकि सरकारी हॉस्पिटल का डॉक्टर दवाई का साल्ट लिख सकता वो भी बिलकुल साफ़ साफ़ लेकिन पाँवटा साहिब के डॉक्टर जान बूझ कर ऐसी राइटिंग में लिखते है लिखते है जो सिर्फ़ उसके ही समझ आएगा जिस मेडिकल के लिए लिखी होती है
सरकारी हॉस्पिटल का कोई भी डॉक्टर मरीज़ को यह नहीं बोल सकता दवाई आपको उस दुकान से लेनी है डॉक्टर का काम होता है दवाई लिखना मरीज़ दवाई कही से भी ले
बड़ा सवाल क्या इन डॉक्टर का पेट सरकार द्वारा मिल रही तनख़ा से नहीं भर रहा जो ये अपनी पसंदीदा मेडिकलों पर भेज रहे है जहां से उनको मोटी रिश्वत मिलती है क्या ऐसे डॉक्टर पर विभाग को कारवाई करनी चाहिए
प्रोपेगंडा दवाइयाँ
पेटेंट ब्रांडेड दवाइयों की कीमत कंपनियां तय करती हैं. इनके रिसर्च, डेवलपमेंट, मार्केटिंग, प्रचार और ब्रांडिंग पर बहुत खर्चा किया जाता है. जबकि, जेनेरिक दवाइयों की सीधे मैन्युफैक्चरिंग होती है. इनके ट्रायल्स भी पहले ही हो चुके होते हैं. जेनेरिक दवाइयों की कीमत सरकार के हस्तक्षेप से तय की जाती हैं और इनके प्रचार पर कुछ खर्च नहीं किया जाता है.
कही ना कही हमारे नेताओं की भी जीमेवारी बनती है समय समय पर हॉस्पिटल के औचक निरीक्षण करे और कमीशन खोर डॉक्टरों पर कारवाई करे पाँवटा साहिब में 4 बड़े नेता लेकिन चरो के चार चुपी साध लेते है
आपको बता दे अगर ज़रूरत 3 दिन की होती है तो क़मीशन के चक्कर में 5 से 7 दिन की दवाई लिखी जाती है इतना ही नहीं अगर ज़रूरत 2 दवाई की होती है तो 4 से 5 दवाइयाँ लिख देते है जिस से ग़रीब जानता कि जेब पर बोझ पड़ रहा आज के समय में सरकारी हॉस्पिटल महँगे पढ़ रहे है और प्राईयवेट सस्ते
एक समय था जब हरियाणा से भी लोग पाँवटा साहिब में इलाज के लिए आया करते थे लेकिन आज के समय में हिमाचल की जानता को हरियाणा इलाज के लिए जाना पड़ रहा है
क़मीशन खोरी का एक और बड़ा कारण है जो डॉक्टर यहाँ आव गया वो जाने का नाम ही नहीं लेता पाँवटा साहिब में कई डॉक्टर ऐसे है जो पिछले 15 से बीस साल हो गये उनका तबादला तक नहीं हुआ जो क़मीशन खोरी की बड़ी वजह भी मानी जा रही है
कई डॉक्टर तो अपनी मर्ज़ी से आते है और अपनी मर्ज़ी से जाते है ना कोई रोकता है ना टोकता है