बिजली बोर्ड को निजीकरण के बजाय रिक्त पदों को भरने का प्रयास करें सरकार आएं दिन हो रहें हैं कर्मचारियों के हादसे ।

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जिस प्रकार आधुनिकता के इस दौर में हम सभी के लिए विद्युत आपूर्ति जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है जिस विधुत आपूर्ति के बिना कोई भी कार्य अधूरा सा है, इसी परिप्रेक्ष्य में आज हम जनहित में हिमाचल प्रदेश के एकलौते विभाग की चर्चा एवं विश्लेषण करने का प्रयास करेंगे जिस विभाग की अहमियत कदाचित सर्वाधिक मानीं जातीं हैं तो वहीं दूसरी ओर जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश सरकार वर्तमान में बिजली बोर्ड के युक्तिकरण और विघटन करने का प्रयास कर रही है जिस युक्तिकरण के कारण कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक भविष्य को लेकर चिन्ता और असमंजस की स्थिति में है, तो वहीं जिस प्रकार विभाग में कर्मचारियों की संख्या वर्तमान में बहुत कम अर्थार्त लगभग सोलह हजार कर्मचारी रह गए हैं जबकि यह आंकड़ा किसी समय चवालीस हज़ार हुआ करता था, इससे भी बढ़कर चिन्ता और समस्या यह हो रही है कि बिजली बोर्ड में आएं दिन फिल्ड कर्मचारियों के विधुत आपूर्ति के समय हादसे पेश आ रहें हैं, जिसमें की आउटसोर्स कर्मचारी भी शामिल हैं जिन्हें आर्थिक रूप से बहुत कम वैतन एवं मुवावजा मिलता है,जिन हादसों की संख्या लगभग अभी तक सैकड़ों में आंकी जाती है,जिसका एक बड़ा कारण यह है कि कर्मचारियों की उपयुक्त संख्या न होकर एक एक कर्मचारी के पास फिल्ड में बीस बीस ट्रांसफार्मर की जिम्मेदारी का अतिरिक्त बोझ है तो वहीं राजनीतिक, सामाजिक से लेकर अधिकारियों तक का दबाव भी इन सभी हादसों का बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए सर्वप्रथम सरकार से निवेदन रहेगा कि विधुत विभाग में खासकर फिल्ड कर्मचारियों के जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरने का प्रयास करें अन्यथा आएं दिन फिर किसी ना किसी कर्मचारी भाईयों के हादसे देखने एवं सुनने को मिलते रहेंगे, तो वहीं जिस प्रकार बिजली बोर्ड के सभी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक (ज्वाइंट फ्रंट) के बैनर तले विरोध और विभिन्न जिलों में विखंडन के खिलाफ मुखर हो रहें हैं इस बात को प्रदेश सरकार को भी पुनः अध्ययन करने और बोर्ड और कर्मचारियों के अस्तित्व को क़ायम रखने का प्रयास करना चाहिए, इसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि वर्षों से बिजली बोर्ड की आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं मानी जाती है, जिसमें विश्लेषकों के मतानुसार समय-समय पर बोर्ड के अनेकों उच्चाधिकारियों से लेकर अनेकों कारण बोर्ड को इस दहनीय स्थिति तक माने जाते हैं, तो वहीं इसमें भी कोई दोहराय नहीं होगी कि वर्तमान प्रदेश सरकार आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए बोर्ड स्तर पर अनेकों सराहनीय प्रयास भी कर रही हैं जिसमें कि बोर्ड को कुछ माह से आर्थिक स्थिति में कहीं ना कहीं सुधार हुआ है, और आगे भी उम्मीद करते हैं कि बिजली बोर्ड अपने पांव पर खड़ा होगा, जिसमें कि कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक अपेक्षा रहेगी कि हम सभी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ समय-समय पर पूर्णतया सहयोग करें,परन्तु यहां सामाजिक रूप से सरकार को भी विधुत कर्मचारियों और बोर्ड के युक्तिकरण और विघटन के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, तो वहीं कर्मचारियों के हो रहे हादसे रोकने के लिए समय समय पर शीघ्र अतिशीघ्र कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास करें ऐसी उम्मीद और निवेदन प्रदेश सरकार से करते हैं। तो वहीं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मिडिया बन्धुओं से भी निवेदन रहेगा कि जनहित में सभी विधुत कर्मियों और अधिकारियों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास करें।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*