जैसे कहां भी जाता है कि आदर्श शिक्षक वह दिव्य ज्ञान ज्योति है, जिसके सानिध्य एवं शिक्षा के मार्गदर्शन में हर वह छात्र एवं युवा अपने सुनहरे भविष्य की नींव रखता है, और अगर शिक्षक बहु प्रतिभाशाली और होनहार मिल जाए तो,यह उस पाठशाला और छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं,आज हम आप सभी के समक्ष क्षेत्र ,समाज में अनेकों ऐसे होनहार और प्रतिभाशाली शिक्षकों की भूमिका की चर्चा करना चाहेंगे जिन शिक्षकों ने अपनी काबिलियत और हुनर से हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-भर में अपनी काबिलियत और समर्पण का लोहा मनवाया है, और यह कारवां वर्तमान में भी क़ायम है, जैसा कि हर वर्ष पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जिसमें प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा उन तमाम होनहार और प्रतिभाशाली शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन एवं कार्य किया है, जिसमें कि हिमाचल प्रदेश सरकार राजधानी शिमला में सम्मान समारोह आयोजित करतीं हैं तो वहीं केन्द्र सरकार देश की राजधानी दिल्ली में भव्य समारोह आयोजित करता है,जिस सम्मान समारोह में सूबे के मुख्यमंत्री, वरिष्ठ अधिकारी गण तो वहीं राष्ट्रीय स्तर के शिक्षक सम्मान समारोह में और भी अधिक गौरवमई पलों का अहसास करवाता है, जिसमें देश-भर के अनेकों शिक्षकों का मार्गदर्शन तो वहीं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री, केंद्रीय आला अधिकारी एवं शिक्षाविदों इत्यादि से मुखातिब और मार्गदर्शन प्राप्त होना शायद हर शिक्षक के लिए गौरवशाली पल रहते होंगे, इसी परिप्रेक्ष्य में एक बेहतर और बहुमुखी प्रतिभाशाली शिक्षकों का कोई विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि शिक्षक वह आधार स्तम्भ माना जाता है, जो छात्रों एवं युवाओं में उनके हुनर और पारखी नजर से तराशने का कार्य करता है, आदर्श शिक्षक में हर वह खूवी मानीं जातीं हैं जिसके कारण वह हमेशा समाज और छात्रों को प्रेरित करने का प्रयास करता है, जिसके कारण हर वह मेहनती एवं उर्जावान छात्र अनेकों क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान स्थापित करने का प्रयास करते है,जिसका श्रेय हर छात्र एवं युवा सर्वप्रथम अपने शिक्षक अर्थात गुरु को ही देता है, क्योंकि उसी शिक्षक के मार्गदर्शन एवं सानिध्य में छात्र अपने जीवन को कही ना कही सार्थक भी मानते हैं, वर्तमान में कहीं ना कहीं शिक्षकों के प्रति भी मान सम्मान और आदर की भावना जरूर कम हुई है, क्योंकि जिस प्रकार अनेकों क्षेत्रों में शिक्षकों के व्यवहार और आचरण में भी कही ना कही कमी आई है,उसी प्रकार वर्तमान के छात्रों में भी गुरु शिष्य के सम्मान में कही ना कही कमी देखने को मिलती हैं, परन्तु फिर भी शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी उच्च बताया गया है,अगर कोई शिक्षक अपनी ओजस्वी वाणी और निपुणता में परिपक्व हो तो शिक्षक स्थानीय विधालय एवं क्षेत्र समाज में शिक्षा के माध्यम से एक बड़ा परिवर्तन करने में सक्षम माना जाता है, तो वहीं अगर हम किसी भी अन्य क्षेत्रों में कार्य के सन्दर्भ में चर्चा एवं विश्लेषण करें तो, किसी भी क्षेत्र में इतना मान सम्मान और वह बेहतर वातावरण उपलब्ध नहीं हो सकता जितना कि शिक्षा के क्षेत्र में देखने एवं सुनने को मिलता है, तो वहीं होनहार शिक्षक से क्षेत्र समाज को भी एक बड़ी उम्मीद और बेहतर अपेक्षा सदैव देखने को मिलती हैं, जैसे कहां भी जाता है कि (शिक्षक के गोद में ही भूत भविष्य और वर्तमान पलते हैं)अर्थार्त शिक्षक पर काफी हद तक निर्भर करता है कि वह किस प्रकार की भूमिका शिक्षा के क्षेत्र में अदा करता है, तो वहीं शिक्षक छात्रों के उज्जवल भविष्य और वर्तमान को बेहतर करने के लिए सक्षम माना जाता हैं। जानकारी अनुसार हिमाचल प्रदेश और देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे अनगिनत शिक्षक रहे हैं और वर्तमान में भी मौजूद है, और कदाचित भविष्य में भी मिलते रहेंगे,जिन्होंने अपने विद्यालय में बेहतर परिणाम और छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए अनेकों प्रकार का त्याग और कड़ी मेहनत से शिक्षक की अहमियत को बखूबी चरितार्थ भी किया। अनेकों शिक्षकों का मानना यह भी रहता है कि शिक्षा को नौकरी का पैशा नहीं बल्कि शिक्षा को सेवा का अवसर मानकर शिक्षा की ज्ञान ज्योति से अनेकों होनहार छात्रों को तराशने का कार्य करना चाहिए, जिसमें अगर आप सफ़ल होते हैं तो समय-समय पर क्षेत्र समाज में बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं।
वे अपने छात्रों के लिए एक शिक्षक और देखभाल करने वाले की भूमिका निभाते हैं। कभी-कभी, वे हमारे दोस्त भी बन जाते हैं और व्यक्तिगत समस्याओं में हमारी मदद करते हैं। एक शिक्षक वह होता है जो आपको एक बेहतर इंसान और जानकार बनने में मदद करेगा। आदर्श शिक्षक में समय की अहमियत की भी एक बड़ी वजह मानी जाती है, अर्थार्त खुद भी समय के अनूकूल कार्य को पूरा करने पर विश्वास करते हैं और छात्रों को भी अनुशासन और समय पर हरेक कार्य को करवाने में विश्वास रखते हैं, क्योंकि हरेक क्षेत्रों में अनुशासन का होना अतिआवश्यक है,जिस अनुशासन को स्थापित करने में शिक्षक से बड़ी भूमिका शाय़द ही कोई भूमिका निभाता हो, तो वहीं क्योंकि प्रारम्भिक शिक्षा से ही छात्रों के अन्दर एक आदर्श शिक्षक,अनुशासन, समय की अहमियत, कठिन परिश्रम, और विभिन्न प्रकार से सशक्त और गुणवान बनाने प्रयास एक आदर्श शिक्षक के द्वारा किया जाता है।
जबकि कुछ लोगों को लगता है कि यह आसान है, लेकिन वास्तव में शिक्षक की भूमिका बहुत चुनौतीपूर्ण और उतनी ही महत्वपूर्ण है। सही ज्ञान और सही तरीके से प्रदान करना उनकी जिम्मेदारी है। उन्हें व्यवस्थित तरीके से पढ़ाना होता है जिसके लिए वे पहले से ही अपने पाठ तैयार करते हैं। इस प्रकार, वे सटीक तकनीकों के उपयोग के माध्यम से अपने छात्रों को प्रेरित करने में सक्षम होते हैं।दरअसल, छात्रों का भाग्य उनके शिक्षकों के हाथों में होता है। वे छात्रों को अधिक से अधिक ऊंचाइयों को छूने और सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं। नतीजतन, वे केवल एक शिक्षक की मदद से डॉक्टर, वकील, पायलट, वैज्ञानिक और बहुत कुछ बनते हैं। तो वहीं बेहतर शिक्षक को तब सबसे ज्यादा खुशी होती है जब उनका कोई शिष्य सर्वोच्च पद एवं समाज में अपनी अहम् भूमिका निभाते है, उससे बढ़कर शाय़द शिक्षक के लिए कोई अन्य गौरव हो नहीं सकता।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*