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पाँवटा साहिब का रेफ़र हास्पिटल के नाम से मशहूर हॉस्पिटल फिर से सुर्ख़ियों में आ गया बताया जा रहा है

लो जी एक और मामला कमीशन खोरी का सामने आ गया अभी तो लोगो ने क़मीशन वाली दवाई की ख़बर भी पूरी नहीं पढ़ी थी तभी सरकारी हॉस्पिटल पाँवटा साहिब के डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए निजी क्लीनिक जो अभिषेक के नाम से पाँवटा साहिब में खुला है डॉक्टर ने वहाँ भेजना शुरू कर दिया रेफ़र करने की भी एक हद होती है डॉक्टर ने उनके पते वाले फ़ार्म पर ही अपने हस्ताक्षर कर दिये जिस से डॉक्टर की नौकरी ख़तरे में आ सकती है और विभाग जवाब भी माँग सकता है अब देखना यह होगा विभाग क्या कारवाई करेगा
आख़िर क्या निजी अल्ट्रासाउंड के नाम वाला फ़ार्म बल्कि उसपर उसका पते के साथ पूरा नक़्शा तक बनाया हुआ है हेरानी की बात तो तब हुई जब उस पर्चे पर डॉक्टर ने अपने हस्ताक्षर तक कर दिये जिस से डॉक्टर सरकारी नौकरी तक ख़तरे में आ सकती है लेकिन इस बात से बेख़ौफ़ डॉक्टर

पाँवटा साहिब के सरकारी हॉस्पिटल में हल्के से पेट के दर्द में लिखे जा रहे डॉक्टरों के द्वारा अल्ट्रासाउंड जिस से मोटी क़मीशन कमा सके बताया जा रहा है एक अल्ट्रासाउंड के 300 रुपये तक सेट किए हुए है इतना ही नहीं हॉस्पिटल के गार्ड भी अब पीछे नहीं है अब अल्ट्रासाउंड के पर्चे अब पते के साथ गार्ड दे रहे है सूत्रों की माने तो अब इसका हिस्सा गार्ड भी बन गये

सरकारी हॉस्पिटल का कोई भी डॉक्टर मरीज़ को यह नहीं बोल सकता आप अल्ट्रासाउंड किसी निजी क्लीनिक से करवाओ लेकिन पाँवटा साहिब के डाक्टरों के हौसले बुलंद ही इतने है कि वो सरकार से भी नहीं डरते नियम को तोड़ अपनी जेब ग़रीब जनता की कमाई से भरना चाहते है

बड़ा सवाल क्या इन डॉक्टर का पेट सरकार द्वारा मिल रही तनख़ा से नहीं भर रहा जो ये अपनी पसंदीदा मेडिकलों पर भेज रहे है जहां से उनको मोटी रिश्वत मिलती है क्या ऐसे डॉक्टर पर विभाग को कारवाई करनी चाहिए

कही ना कही हमारे नेताओं की भी जीमेवारी बनती है समय समय पर हॉस्पिटल के औचक निरीक्षण करे और कमीशन खोर डॉक्टरों पर कारवाई करे